जो दिखाई देता हूं वो नहीं हूं मैं और ना ही वो हूं जो तुम देखते हो तुम्हारे देखने मेरे नज़र आने के बीच जो अब तक नहीं देखा गया ना ही सुना गया हां… मैं वही हूं और तुम… – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
जो दिखाई देता हूं
जो दिखाई देता हूं
वो नहीं हूं मैं
और ना ही वो हूं
जो तुम देखते हो
तुम्हारे देखने
मेरे नज़र आने के बीच
जो अब तक
नहीं देखा गया
ना ही सुना गया
हां…
मैं वही हूं
और तुम…
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
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One reply to “जो दिखाई देता हूं”
Rekhta
आपका काम बहुत सराहनीय है।