Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • नज़र पर ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा

    घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा वो मिरे चश्मे में जब अपनी नज़र रख जाएगा क़ैद कर ले जाएगा नींदों की सारी काएनात हाँ मगर पलकों पे कुछ सच्चे गुहर रख जाएगा सारे दुख सो जाएँगे लेकिन इक ऐसा ग़म भी है जो मिरे बिस्तर पे सदियों का सफ़र रख जाएगा [...] More
  • आग ऐसी लगी ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    दिल में हसरत कोई बची ही नहीं

    दिल में हसरत कोई बची ही नहीं आग ऐसी लगी बुझी ही नहीं उस ने जब ख़ुद को बे-नक़ाब किया फिर किसी की नज़र उठी ही नहीं जैसा इस बार खुल के रोए हम ऐसी बारिश कभी हुई ही नहीं ज़िंदगी को गले लगाते क्या ज़िंदगी उम्र-भर मिली ही नहीं मुंतज़िर कब से चाँद छत [...] More
  • स्वप्न की निशिगन्ध

    हमारे स्वप्न भी उच्छृंखल हो गए हैं कभी ये नींद उड़ा देते हैं, कभी जागते में कहीं ले जाते हैं बैठ कर हवा के रेशमी परों पर देखता हूँ माटी का गेरूआ रंग बौराए आम की घनी छाँव मे ठहर जाता है वक्त किसी पलक भूल जाती है अपना झपकना उन्मुक्त स्वाँसों की महक उठती [...] More
  • पैगाम ए वफ़ा पर ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    दरवाज़ा-ए-हस्ती

    दरवाज़ा-ए-हस्ती से न इम्लाक से निकला पैग़ाम-ए-वफ़ा ख़ुश्बू-ए-इदराक से निकला फिर आज कुरेदी गई वो ख़ाक-ए-नशेमन फिर गौहर-ए-मक़्सूद उसी ख़ाक से निकला हर बार मुझे मेरे मुक़द्दर ने सदा दी जब भी कोई तारा दर-ए-अफ़्लाक से निकला इस बार तो मजनूँ का भरम भी नहीं रक्खा यूँ मेरा जुनूँ पैरहन-ए-चाक से निकला दुनिया की ज़बानों [...] More
  • तुम्हारी चाह पर ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं

    दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं बहुत दिनों से अना के शिकार हम भी हैं फ़क़त तुम्हीं को नहीं इश्क़ में ये दर-बदरी तुम्हारी चाह में गर्द-ओ-ग़ुबार हम भी हैं चढ़ी जो धूप तो होश-ओ-हवास खो बैठे जो कह रहे थे शजर साया-दार हम भी हैं बुलंदियों के निशाँ तक न छू सके वो लोग [...] More
  • रौशनी फैलती ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    चाहता ये हूँ कि

    चाहता ये हूँ कि बेनाम-ओ-निशाँ हो जाऊँ शम्अ' की तरह जलूँ और धुआँ हो जाऊँ पहले दहलीज़ पे रौशन करूँ आँखों के चराग़ और फिर ख़ुद किसी पर्दे में निहाँ हो जाऊँ तोड़ कर फेंक दूँ ये फ़िरक़ा-परस्ती के महल और पेशानी पे सज्दे का निशाँ हो जाऊँ दिल से फिर दर्द महकने की सदाएँ [...] More
  • चाँद सा चेहरा

    चाँद सा चेहरा कुछ इतना बेबाक हुआ एक ही पल में शब का दामन चाक हुआ घर के अंदर सीधे सच्चे लोग मिले बेटा परदेसी हो कर चालाक हुआ दरवाज़ों की रातें चौकीदार हुईं और उजाला जिस्मों की पोशाक हुआ जो आया इक दाग़ लगा कर चला गया उस ने छुआ तो मेरा दामन पाक [...] More
  • दिल के दर्द पर ग़ज़ल, शाद उदयपुरी

    क्यों न मेरे हुये

    क्यों न मेरे हुये, तुम सदा के लिये याद में क्यों रहे, तुम जफ़ा के लिये करके वादे वफ़ा, क्यों हवा हो गये ये मिली है सज़ा, किस ख़ता के लिये तोड़ कर दिल मेरा, बोलिये क्यों गये वो खता तो बता दो ख़ुदा के लिये उम्रभर न सही चार पल ही सही इक नज़र [...] More
  • काव्य ज्योति पर हम्द, शाद उदयपुरी

    नाम लेके तिरा

    नाम लेके तिरा, हम शुरू कर रहे तीरगी में यहाँ, रौशनी भर रहे खूबसूरत बनें, ये ज़मीं आसमां चाहतों से सदा, ये भरा घर रहे महफ़िल चारसू, बस अदब की सजे नाम हरदम तिरा, इन लबों पर रहे सिलसिला प्यार का, जोड़कर वो चलो दर्द से आँख ना, कोइ भी तर रहे काव्य ज्योति से [...] More
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