घर परिवार गाँव छोड़ बसे परप्रान्त, मजदूरी कर रोजी अपनी कमाते हैं। कायरों का झुंड लिए धूर्तता के ठेकेदार, कर्मवीर श्रमिकों को खतरा बताते हैं। क्षेत्रवाद का ज़हर घोलते जो लाभ देख, सत्तालोभी साथ खड़े उनको बचाते हैं। पकती है दाल रोटी जिनके पसीने से ही, भूल उपकार सभी उनको भगाते हैं।। -अवधेश कुमार रजत [...]
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घर ग्रस्थि पर कविता
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रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या
रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या । ये हर दफा तुमको दिखाते रहें क्या । उनको पता है सब उदासी हमारी, दिल में जफ़ा उनकी छुपाते रहें क्या । तुम भी ज़रा कोशिश करो तो वफ़ा की ये फ़लसफ़ा हम ही पढ़ाते रहें क्या । कब दूर की बोलो शिक़ायत दर्द की, होकर ख़फ़ा [...] More -
नशेमन का जिगर देखो
नशेमन का जिगर देखो । बिजलियों में गुज़र देखो । मुसीबत ही मुसीबत है, जहाँ देखो जिधर देखो । रफिक़ों को लड़ा डाला, रक़ीबों का हुनर देखो । हिदायत है बड़े घर की, नहीं चाहो मगर देखो । ग़रीबी ने झुका दी है, लड़कपन की कमर देखो । क़लम स्याही नहीं मिलती, अदीबों का नगर [...] More -
शब्दों में डूबा रहूँ, ऐसी दे तासीर
शब्दों में डूबा रहूँ, ऐसी दे तासीर माँ!मुझको वो पथ दिखा, जिस पथ चला कबीर मन्दिर मस्ज़िद के लिए, करते दो दो हाथ मदिरालय में बैठकर, दोनों पीते साथ सार रहित उस बात को, कभी न दो विस्तार जो जग और समाज का, कर न सके उपकार रब के घर केवल मिले, शुभ कर्मों का [...] More -
गोरी का घूंघट उठा नयन हो गये चार
गोरी का घूंघट उठा नयन हो गये चार आँख लगी ना रात भर खुला रहा हिय-द्वार सपनों में, मैं देखती तेरी छवि सरताज आजाओ घर आँगने दर्शन दो नटराज नयना तू मटकाय के हिय मेरा भटकाय सारा जग देखत सनम! तोहे लाज न आय नयन सजन से क्या मिले भूल गयी संसार कुछ भी अब [...] More -
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती । नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।। जब भी उसके आस - पास संकट मँडराये । हाथों में तलवार, देख दुश्मन थर्राये ।। वह पुरुषों का दर्प, चूर्ण भी कर सकती है । अपने सपने आप, पूर्ण भी कर सकती है ।। थोड़ा सा [...] More -
जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई
जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई । देशभक्ति के नाम, काटते खूब मलाई ।। दशा दिशा से हीन, क्रान्ति बिधवा सी रोई । सहसा घन को फाड़, निकल आया रवि कोई ।। नौजवान यह वीर, नाव को खेने वाला । बदले में ले खून, अजादी देने वाला ।। फिर सुभाष सा वीर एक उपजाना [...] More -
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर क़ायम तो इस जहान में कोई मिसाल कर जो मुझसे कह रहा था कि कोई सवाल कर वो शख़्स ले गया है मेरा दिल निकाल कर इस तीरगी का और भी बढ़ने लगा ग़ुरूर कुछ और तेज़ अपना ये रंग-ए-जमाल कर दुनिया की भीड़ भाड़ में खो जाना [...] More -
प्यार का मेरे यह फ़साना है
प्यार का मेरे यह फ़साना है रात भर जागना मनाना है तुझसे मिलकर ही मैंने जाना है कितना आसान मुस्कुराना है इक तेरे प्यार की बदौलत ही मेरा हर दिन हुआ सुहाना है उस बदन की मिसाल क्या दूँ मैं वो मुजस्सिम शराबखाना है छोड़ आया हूँ.दीन दुनिया को तेरा पहलू ही अब ठिकाना है [...] More