घर परिवार गाँव छोड़ बसे परप्रान्त, मजदूरी कर रोजी अपनी कमाते हैं। कायरों का झुंड लिए धूर्तता के ठेकेदार, कर्मवीर [...]
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घर ग्रस्थि पर कविता
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रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या
रस्में वफ़ा हम ही निबाहते रहें क्या । ये हर दफा तुमको दिखाते रहें क्या । उनको पता है सब [...] More -
नशेमन का जिगर देखो
नशेमन का जिगर देखो । बिजलियों में गुज़र देखो । मुसीबत ही मुसीबत है, जहाँ देखो जिधर देखो । रफिक़ों [...] More -
शब्दों में डूबा रहूँ, ऐसी दे तासीर
शब्दों में डूबा रहूँ, ऐसी दे तासीर माँ!मुझको वो पथ दिखा, जिस पथ चला कबीर मन्दिर मस्ज़िद के लिए, करते [...] More -
गोरी का घूंघट उठा नयन हो गये चार
गोरी का घूंघट उठा नयन हो गये चार आँख लगी ना रात भर खुला रहा हिय-द्वार सपनों में, मैं देखती [...] More -
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती
नारी मोहक रूप समुच्चय मात्र न होती । नाजुक सी वह फूल, दया की पात्र न होती ।। जब भी [...] More -
जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई
जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई । देशभक्ति के नाम, काटते खूब मलाई ।। दशा दिशा से हीन, क्रान्ति [...] More -
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर
रख्खेंगे लोग ज़हन में तुझको संभाल कर क़ायम तो इस जहान में कोई मिसाल कर जो मुझसे कह रहा था [...] More -
प्यार का मेरे यह फ़साना है
प्यार का मेरे यह फ़साना है रात भर जागना मनाना है तुझसे मिलकर ही मैंने जाना है कितना आसान मुस्कुराना [...] More