Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • बुढ़ापे पर कविता, रामनारायण सोनी

    टोकनियों में भर भर

    टोकनियों में भर भर उम्र भर ढोये कनस्तर जिन्दगी हुई ऐसी बसर इस शहर से उस शहर चलता रहा शामो सेहर यायावरी अभी अभी ठहरी पीठ पर लदे अहसास अहसासों में रंजे रोमाञ्च गाँठ से बंधे मजबूत रिश्ते कर्म के तानों बानों पर बुनी चादर, बैठी जीत हार जिन्दगी की छोटी सी बही यह यायावरी [...] More
  • रिश्ते नाते पर कविता, एकता खान

    किसी ने पूछ लिया

    किसी ने पूछ लिया दिल और ख़ून के रिश्तों में फ़र्क़ क्या है सुना है दिल के रिश्तों में बहुत सहूलियत है पल में जुड़ते और टूटते हैं जोड़ तो लिया दिल आपने हमसे मेरे दोस्त तोड़ने की वजह न ढूँढ लेना कभी जोड़ने तोड़ने के इस खेल में तोड़ते हैं दिल अक्सर अपने ही [...] More
  • ज़िन्दगी संवरने लगी, एकता खान

    मेरी वीरान सी ज़िंदगी में

    मेरी वीरान सी ज़िंदगी में था सदियों का सूनापन कुछ अधूरे रिश्ते थे कुछ अधूरी ख़्वाहिशें थी हज़ारों अंधेरी रातों के बाद हुआ हो जैसे नया सवेरा आप आए ज़िंदगी में ऐसे बारिश सूखी ज़मीं पे जैसे -एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More
  • कुछ एहसास अजनबी से जागे तो हैं मगर

    कुछ एहसास अजनबी से जागे तो हैं मगर उन एहसासों को अल्फ़ाज़ो में ढाल ना सके आँखों से चाहत के मोती बिखरे तो हैं मगर उन बहते मोतियों को सहेज़ कर रख ना सके हर साँस उनसे मुहब्बत करती तो है मगर बातें ही कुछ ऐसी थी कि हम कह ना सके एक सफ़र साथ [...] More
  • रावण कब मरेगा, गोविन्द व्यथित

    अभी तो लंका दहन भी शेष है

    अभी तो लंका दहन भी शेष है पहले इसको होना है हनुमान की बढ़ती हुई पूँछ को किरासिन तेल, डीजल और घी से भिंगोना है यार कपड़े की भी कमी का रोना है खतरे के डर से पहले ही से बिजली का मेन स्विच आफ है जलती आग बुझने न पाये आसमान भी साफ है [...] More
  • सर्कस पर कविता, गोविन्द व्यथित

    सर्कस का सातवाँ बौना

    सर्कस का सातवाँ बौना दिखाता था अच्छे-अच्छे खेल यों तो सर्कस में कुछ मिलाकर थे आठ बौने लेकिन उसके आगे सब फेल तीसरे बौने ने किया काफी परिश्रम उसकी कला में यधपि हुआ बहुत विकास किन्तु सातवें से थोड़ा कम छठाँ भी काफी तेजी से प्रगति की ओर बढ़ा जा रहा सफलता की ऊँची सीढ़ियों [...] More
  • स्टेशन का सिग्नल, गोविन्द व्यथित

    लाल-लाल आँखों से अपलक घूरता

    लाल-लाल आँखों से अपलक घूरता स्टेशन का आउटर सिगनल किसी गाड़ी के आने की सूचना पाते ही चौकस होकर हरा हो जाता है त- ड़-त-ड़-ध-ड़-ध-ड़ गाड़ी आती है और उसे पार करके स्टेशन पर रुकती है तत्काल विवश बेकल लाल-लाल आँखों से फिर घूरने लग जाता है स्टेशन का आउटर सिगनल स्टार्टर सिगनल के हरा [...] More
  • शब्दों पर कविता, रामनारायण सोनी

    कागज कलम प्रतीक्षा में खड़े थे

    कागज कलम प्रतीक्षा में खड़े थे कि लिखूँ तुम्हें कविता में और तभी सांकल खटकी भावों का महा-शब्दकोष बन मुस्कान लिये खड़ी थी तुम कोरा कागज वह अब मेरा महाकाव्य है बखान करता है सप्त सर्ग प्रीत के अनुराग के -रामनारायण सोनी रामनारायण सोनी जी की कविता रामनारायण सोनी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको [...] More
  • हिंदी भाषा पर मुक्तक, मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी'

    प्यारी बोली हिन्दी की है

    प्यारी बोली हिन्दी की है प्यारा हिन्दुस्तान मुक्त करें नफ़रत हिंसा से अपना हिन्दुस्तान मिलकर सुख़-दुःख बांटें कहती इसकी माटी रहे चमकता और दमकता अपना हिन्दुस्तान -नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की मुक्तक मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
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