Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • देश के गद्दारो पर ग़ज़ल, मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी'

    कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं

    कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं अपने ही पैरों की ज़मीं छोड़ रहे हैं कुछ लोग चाहते हैं ऊँचा रहे मस्तक कुछ लोग देश का गाला मरोड़ रहे हैं कुछ लोग लहू बूँद -बूँद रहे जमा कुछ हैं जो लगातार ही निचोड़ रहे हैं कुछ लोग एकता की कोशिशों में लगे हैं कुछ हैं [...] More
  • हालात पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा निशा

    होने को मशहूर हुए हैं

    होने को मशहूर हुए हैं अपनो से ही दूर हुए हैं थी मजबूरी थाम सके न अच्छे दिन काफ़ूर हुए हैं घर की क़ीमत जाने वो ही घर से जो भी दूर हुए हैं दौलत शोहरत सर चढ़ बोले रिश्ते सब नासूर हुए हैं नशा उमर का उतरा जब है मन्ज़र सब बेनूर हुए हैं [...] More
  • इंसानियत पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा निशा

    सिस्कियां ले रहे आज रिश्ते सभी

    सिस्कियां ले रहे आज रिश्ते सभी झूठ लगने लगे लोग हंसते सभी हर तरफ़ साज़िशो की चली है हवा खौफ़ज़द हो रहे सब्ज़ पत्ते सभी भाव इंसानियत का उतरता गया आदमी हो गये आज सस्ते सभी हमसफ़र वो नहीं साथ फ़िर भी रहे एक हम ही नही लोग कहते सभी उठ रहा है धुआँ अब [...] More
  • बीती यादों पर ग़ज़ल, अवधेश कुमार 'रजत'

    कौन कहता कि रो रही आँखें

    कौन कहता कि रो रही आँखें। देख लो दाग धो रही आँखें।। ठेस दिल को लगा गया मेरे, बेवफा बोझ ढ़ो रही आँखें। जिस घड़ी छोड़ वो गया मुझको, एक पल भी न सो रही आँखें। लौट आना कभी बहाने से, फिर वही आस बो रही आँखें। याद उनकी सता रही हमको, हार बेजान हो [...] More
  • सत्ता की चाह, अवधेश कुमार 'रजत'

    सत्ता की चाभी लिए

    सत्ता की चाभी लिए, मतदाता लाचार। लोकतंत्र की आड़ में, सजा हुआ बाजार।। नारों वादों का चले, रजत सियासी तीर। शस्त्र जुबां को धार दे, उतरे हैं रणधीर।। सिसक रही है द्रौपदी, गुमसुम राधेश्याम। कौरव हावी हो गए, क्या होगा अंजाम।। देवों के उपहास से, बन बैठे विद्वान। व्यर्थ प्रलापों से रजत, मिटा रहे सम्मान।। [...] More
  • ज़िन्दगी का कड़वा सच, बिलाल पठान

    एक जिंदगी मैंने जी हैं

    एक जिंदगी मैंने जी हैं उधेड़बुन से सीली कतरनों के रंग से जगमगाती हुई एक प्यास उधार ली हैं चकवे के होठों से चुराकर स्वाति नक्षत्र की बूँद झरने से पहले एक वेगमय भूख जी है उपवास के पेट में दौड़ती हुई ध्वनितमत डकार सें लिपटी हुई कई कोशिशें जी हैं साँप सीढ़ी के पटल [...] More
  • प्यार और नफरत, पी एल बामनिया

    कोई अपना मुझको सदाएं दे

    कोई अपना मुझको सदाएं दे। फिर वो जो चाहे हमे सजाए दे।। दिल प्रेम से इतना भरा रहे, हम अपने दुश्मन को दुआएं दे। इन नफरतो का इलाज कर सके, कुछ ऐसी बेशकीमती दवाएं दे। ये है इस बेवफा जमाने का उसूल, जिसे चाहे हम, वो हमे यातनाए दे। जिन पर हम थोड़ा इतरा सके, [...] More
  • प्यार का दर्द, पी एल बामनिया

    अब थोड़ा सा वक्त तू मेरे नाम कर दे

    अब थोड़ा सा वक्त तू मेरे नाम कर दे, और फिर वक्त के पहिये को जाम कर दे। अब इस तरह से मुझे तू बदनाम कर दे, गमजदा हूँ कुछ और गम मेरे नाम कर दे। -पी एल बामनिया पी एल बामनिया जी की खराब वक्त पर मुक्तक पी एल बामनिया जी की रचनाएँ [simple-author-box] [...] More
  • सावन का इंतजार, जगदीश तिवारी

    कोयल कूके डाल पर

    कोयल कूके डाल पर, हँसता फूल पलास। जल्दी आजा साजना, तड़फाये मधुमास।। तड़फाये मधुमास, दवा कुछ कर दे आकर; जागूँ सारी रात, कहूँ दुःख किससे जाकर। करो कृपा "जगदीश" सजन-हिय कर दो कोमल; वो आयें घर-द्वार, डाल पर कूके कोयल।। -जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की वर्षा ऋतू पर कविता जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [...] More
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