आज महफिल में गुलशन, खिला देंगे हम, फिर धरती पर सुमन, बिछा देंगे हम, अगर राहे मंजिल, मिले आपका, बूंद शबनम हकिकत, वरषा देंगे हम, मौसम सुहाना सुअवसर मिले जो, जमीं क्या गगन को, झुका देंगे हम, हौंसला है, बलन्दी है, चाहत मगर, सच ईंटों से ईंट, बजा देंगे हम, - डा विनोद कैमूरी डॉ. [...]
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आज महफिल में गुलशन
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जो वफ़ाओ का इक खुदा होगा
जो वफ़ाओ का इक खुदा होगाजो वफ़ाओ का इक खुदा होगा समझो सबसे वही जुदा होगा जब मेरा नाम वो लिखा होगा चेहरा खत मे मेरा पढा होगा जो खयालो मे फ़िरा करता है वही ख्वाबो मे फ़िर रुका होगा मिलना चाहेगा, पर मिलेगा नहीं बस अकेले तड़प रहा होगा कभी मुझमे ही देखले खुदको [...] More -
पूछने वाले पूछते हैं
पूछने वाले पूछते हैं कैसे मेरी खुशियों में इज़ाफ़ा है मैने भी यू कह दिया है ये दौलते इश्क का मुनाफ़ा है - नमिता नज़्म नमिता नज़्म जी की दौलते इश्क का मुनाफ़ा पर कविता नमिता नज़्म जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
जलने से बेटियों को बचाएं
रस्में ताल्लुकात निभायें, तो किस तरह, भूलें हैं वो याद दिलायें, तो किस तरह । बेटे तो सभी बिक चुके हैं ऊंचे दामों पर, जलने से बेटियों को बचाएं, तो किस तरह । - डा विनोद कैमूरी डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की बेटी पर मार्मिक कविता डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ जी की [...] More -
तुम नहीं पुकारोगे
तुम नहीं पुकारोगे, तो क्या खो जाऊँगी मैं ? तुम नहीं मनाओगे, तो क्या रूठी ही रह जाऊँगी मैं ? तुम नहीं समेटोगे, तो क्या बिखर जाऊँगी मैं ? तुम नहीं थामोगे, तो क्या टूट जाऊँगी मैं ? नहीं! आँखे होंगी भरी, पर तब भी मुस्कुराऊँगी मैं, दिल होगा भारी, पर तब भी गुनगुनाऊँगी मैं। [...] More -
ये और बात कि सजदे नहीं क़ुबूल उसे
ये और बात कि सजदे नहीं क़ुबूल उसे मगर वो शख़्स हमारा ख़ुदा तो अब भी है - सुरेन्द्र कुमार चौधरी सुरेन्द्र कुमार चौधरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
जिस घर में बटवारा हो जाता है
जिस घर में बटवारा हो जाता है प्राणी प्राणी बंजारा हो जाता है हो जाता है प्यार एक सपने जैसा व्यक्ति स्वयं का हत्यारा हो जाता है किस तरह की भावना में आज हम बहने लगे हम नहीं हैं एक, अब तो लोग कहने लगे एकता की मीनारें खड़ी की हमने 'नसीर ' उसके गुम्बद [...] More -
इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है
इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है टहनी-टहनी बिखरी एक कहानी है घाटी-घाटी सहमी-सहमी काँप रही इनकी कथा-व्यथा जानी पहचानी है इन पेड़ों पर... यहीं बहा करती थी सुन्दर सी चाँदी किन्तु आज तो हर झरना बे पानी है निगल रहा है कौन यहाँ की सुंदरता कौन बताये ये किसकी शैतानी है इन पेड़ों पर... [...] More -
आन बान शान कम देश की न होने पाए
आन बान शान कम देश की न होने पाए, शौर्य वीरता के अहसास को जगाइये। देशद्रोहियों के लिए नरमी जो रखते हों, भारत से उन आम खास को भगाइये। भेद-भाव ऊंच-नीच जिनका हो हथियार, ज़हरीली हर उस घास को जलाइये। विश्वगुरु बनने की लीजिये शपथ सभी, सुप्त हुई मन की जो प्यास वो बढ़ाइये। - [...] More