आन बान शान कम देश की न होने पाए,
शौर्य वीरता के अहसास को जगाइये।
देशद्रोहियों के लिए नरमी जो रखते हों,
भारत से उन आम खास को भगाइये।
भेद-भाव ऊंच-नीच जिनका हो हथियार,
ज़हरीली हर उस घास को जलाइये।
विश्वगुरु बनने की लीजिये शपथ सभी,
सुप्त हुई मन की जो प्यास वो बढ़ाइये।
आन बान शान कम देश की न होने पाए
आन बान शान कम देश की न होने पाए,
शौर्य वीरता के अहसास को जगाइये।
देशद्रोहियों के लिए नरमी जो रखते हों,
भारत से उन आम खास को भगाइये।
भेद-भाव ऊंच-नीच जिनका हो हथियार,
ज़हरीली हर उस घास को जलाइये।
विश्वगुरु बनने की लीजिये शपथ सभी,
सुप्त हुई मन की जो प्यास वो बढ़ाइये।
– अवधेश कुमार ‘रजत’
अवधेश कुमार 'रजत' जी की देशभक्ति कविता
अवधेश कुमार 'रजत' जी की रचनाएँ
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