इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है टहनी-टहनी बिखरी एक कहानी है घाटी-घाटी सहमी-सहमी काँप रही इनकी कथा-व्यथा जानी पहचानी है इन पेड़ों पर… यहीं बहा करती थी सुन्दर सी चाँदी किन्तु आज तो हर झरना बे पानी है निगल रहा है कौन यहाँ की सुंदरता कौन बताये ये किसकी शैतानी है इन पेड़ों पर… अंग-अंग जंगल के मत काटो जन-जन तक ये बात पहुँचानी है प्रकृति द्रोपदी चीर हरण सी चीख रही हमें, आपको इसकी लाज बचानी है इन पेड़ों पर… – मोहम्मद नसरुल्लाह ‘नसीर बनारसी’ मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की पेड़ बचाओ कविता मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है
इन पेड़ों पर कैसी ये वीरानी है
टहनी-टहनी बिखरी एक कहानी है
घाटी-घाटी सहमी-सहमी काँप रही
इनकी कथा-व्यथा जानी पहचानी है
इन पेड़ों पर…
यहीं बहा करती थी सुन्दर सी चाँदी
किन्तु आज तो हर झरना बे पानी है
निगल रहा है कौन यहाँ की सुंदरता
कौन बताये ये किसकी शैतानी है
इन पेड़ों पर…
अंग-अंग जंगल के मत काटो
जन-जन तक ये बात पहुँचानी है
प्रकृति द्रोपदी चीर हरण सी चीख रही
हमें, आपको इसकी लाज बचानी है
इन पेड़ों पर…
– मोहम्मद नसरुल्लाह ‘नसीर बनारसी’
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की पेड़ बचाओ कविता
मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ
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