• जो दिखाई देता हूं

    जो दिखाई देता हूं वो नहीं हूं मैं और ना ही वो हूं जो तुम देखते हो तुम्हारे देखने मेरे [...] More
  • जब साथ-साथ है

    जब साथ-साथ है हम-तुम, तो क्यो आए कभी कोई गम। एक-दूजे के साथ रहे उम्र भर, यही एक अहसास रहे [...] More
  • बेइंतहा प्यार पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    खिंच लाती है

    खिंच लाती है जुस्तजू तेरी अच्छी लगती है गुफ्तगू तेरी फूल में चाँद में हरेक मंज़र में शक्ल दिखती है [...] More
  • बेइंतहा प्यार पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    आख़िरी बार कब

    आख़िरी बार कब देखा था तुमने उसे या फिर उसने तुम्हें ठीक से सोच कर बताओ अगर नहीं मालूम तो [...] More
  • सपनों को आकाश दे,

    सपनों को आकाश दे, रिश्तों को नव-सांस मीत! कभी टूटे नहीं, अपनों का विश्वास महंगाई हर दुवार पर चला रही [...] More
  • इंसान के ईमान बदलने पर दोहे, जगदीश तिवारी

    फिसलन ही फिसलन यहां,

    फिसलन ही फिसलन यहां, फिसल रहा इंसान कीचड़ में सनकर यहां भूल रहा ईमान भोर हुई किरणें हँसें, पंछी गायें [...] More
  • दर्द इ दिल पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    उम्र कुछ इस तरह

    उम्र कुछ इस तरह बिता दी है राख के ढेर को हवा दी है आपका फ़ैसला निराला है ज़िन्दगी बख्श [...] More
  • गुज़र गई ग़फ़लत में

    गुज़र गई ग़फ़लत में सांसों के आने-जाने के बीच झूलता रहा बिखरता रहा तेरे ख़याल की आंधी में और तू [...] More
  • माँ शारदा से प्रार्थना पर दोहे, जगदीश तिवारी

    भीतर उठते भाव को

    भीतर उठते भाव को माँ दे दे आकार कविता बनकर वो हँसे, जग के हरे विकार धो माँ! मेरे पाप [...] More
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