जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई । देशभक्ति के नाम, काटते खूब मलाई ।। दशा दिशा से हीन, क्रान्ति बिधवा सी रोई । सहसा घन को फाड़, निकल आया रवि कोई ।। नौजवान यह वीर, नाव को खेने वाला । बदले में ले खून, अजादी देने वाला ।। फिर सुभाष सा वीर एक उपजाना [...]
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जब भारत की राजनीति ने ली अँगड़ाई
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एक सहृदयी व्यक्ति ने
एक सहृदयी व्यक्ति ने मुझ पतित को उत्साह से भरकर झट गले लगाया मेरे मन का छलकता कीचड़ उसके तन को कीचड़मय कर दिया मुझ पर एक अलौकिक अहसास का अनुभव हुआ मैं चहकते हुए घर लौटा लगाया डुबकी फिर मद - मोह के उसी गटर में सारे अहसास काफूर हो गए मैं मशहूर हो [...] More -
जज़्बातों के सरस – सरोवर
जज़्बातों के सरस - सरोवर, पर किसने डाका डाला, टूट गईं क्यों प्यार की लड़ियाँ तोड़़ी है किसने माला? जिन रिश्तों को सींच, पूर्वजों ने गुलशन गुलजार किया, आग लगायी उस चिराग ने, स्नेह लुटा जिसको पाला। प्रात काल में बाल सूर्य को स्नेह अर्घ्य से सींचा था, चला गया जब शाम हुई तो, आवारा [...] More -
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए । दिल में वियोग की आह लिए ।। वह सरहद को प्रस्थान किया, दायित्व बोध का भान किया, कुछ बूँद अश्क की ले आया, तनहाई फिर से दे आया, सोते बच्चे को छोड़ चला, खुद अपने मुँह को मोड़ चला, जल्दी आने की चाह लिए । आँखों में अश्रु प्रवाह [...] More -
भारत माँ की लाज रखी है
भारत माँ की लाज रखी है माँओं की कुर्बानी ने बच्चा जनकर जवाँ बनाना, साधारण सी बात नहीं । जाग - जागकर काटी ना हो, ऐसी कोई रात नहीं ।। एक साल तक उदर और फिर आँचल में ढँककर रखना । गर्म, झाल, अनजान खाद्य को, बच्चे से पहले चखना ।। मूक गले में भी [...] More -
गणनायक गणपति गजे, गिरिजापुत्र गणेश
गणनायक गणपति गजे, गिरिजापुत्र गणेश | सर्व सिद्ध स्वामी सुकवि, शंकर सुमन सुरेश | मंगलमूरत मान्यवर, मोहत मोदक मूस | अवध अराधे आपको, आओ आदि अशेष || - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था
निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था । सपन ने प्यार से मुझको मेरे प्रिय से मिलाया था । यकायक हो गया ऐसा उठी बारात तारों की - किरण ने गर्मजोशी से पुन: मुझको जगाया था ।। - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक [...] More -
बार-बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी।
बार - बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी। हर उपाय होता नाकाफी, नाकाफ़ी कोशिश नीमी। सत्तर सालों की आजादी, को हमने यूँ जिया है - एक तरफ बढ़ती आबादी, दूजे हम दीमक - क्रीमी ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार [...] More -
अवधपति! आना होगा
मातृभूमि वह तीर्थ जहाँ माता रहती है । अपना सब कुछ वार हमें पैदा करती है ।। तरुवर छायादार छत्र बन छाया करते । उमड़ घुमड़कर मेघ वारि बरसाया करते ।। प्रथम गिरा का ज्ञान यहीं से हम सब पाते । नव रस के सब भाव हृदय में यहीं समाते ।। कुछ भी हो कर्त्तव्य [...] More