निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था । सपन ने प्यार से मुझको मेरे प्रिय से मिलाया था । यकायक हो गया ऐसा उठी बारात तारों की – किरण ने गर्मजोशी से पुन: मुझको जगाया था ।। – अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था
निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था ।
सपन ने प्यार से मुझको मेरे प्रिय से मिलाया था ।
यकायक हो गया ऐसा उठी बारात तारों की –
किरण ने गर्मजोशी से पुन: मुझको जगाया था ।।
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक
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