बार – बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी। हर उपाय होता नाकाफी, नाकाफ़ी कोशिश नीमी। सत्तर सालों की आजादी, को हमने यूँ जिया है – एक तरफ बढ़ती आबादी, दूजे हम दीमक – क्रीमी ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || – अवधेश कुमार ‘अवध’ अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बार-बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी।
बार – बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी।
हर उपाय होता नाकाफी, नाकाफ़ी कोशिश नीमी।
सत्तर सालों की आजादी, को हमने यूँ जिया है –
एक तरफ बढ़ती आबादी, दूजे हम दीमक – क्रीमी ।।
हर दिल की आवाज बनेगी |
अवध लेखनी राज करेगी ||
– अवधेश कुमार ‘अवध’
अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता
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