गुबारे ग़म को दबाते रखिए, हंसी लबों पे सजाये रखिए। जो चाहो बज्मे सुखन हो रोशन, चरागे दिल को जलाए रखिए । अगर चेतन हक़ दबाना हो उनका, नींद गहरी में सुलाये रखिए । बलंदी चाहो गर सियासत में, रक़ीबो से भी बनाए रखिए । जिसने मजबूर किया है मधुकर, राज ये दिल में छुपाए रखिए। । – मनमोहन मधुकर मनमोहन मधुकर जी की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
गुबारे ग़म को दबाते रखिए
गुबारे ग़म को दबाते रखिए,
हंसी लबों पे सजाये रखिए।
जो चाहो बज्मे सुखन हो रोशन,
चरागे दिल को जलाए रखिए ।
अगर चेतन हक़ दबाना हो उनका,
नींद गहरी में सुलाये रखिए ।
बलंदी चाहो गर सियासत में,
रक़ीबो से भी बनाए रखिए ।
जिसने मजबूर किया है मधुकर,
राज ये दिल में छुपाए रखिए। ।
– मनमोहन मधुकर
मनमोहन मधुकर जी की ग़ज़ल
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