उसकी ख़ामोशी पे कविता गीत ग़ज़ल कैसे लिखूं न जाने क्या-क्या है उसके दिल में मैं आख़िर सोचूं भी तो क्या उसकी ख़ामोशी जब टूटेगी वो जब भी मुस्कराएगी उसकी हर बात का मतलब दुनिया अलग लगाएगी उसका देखना क़यामत उसका चलना क़यामत उसका बोलना क़यामत न जाने कितनी क़यामतें टूटती हैं उस पे हर [...]
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उसकी ख़ामोशी पे
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सुनो हां…तुम
सुनो! हां...तुम मैं तुम से ही मुख़ातिब हूं तुम्हारी मुस्कराहट में जो दर्द छुपा है उसका कुछ हिस्सा मुझे दे दो | या फिर कह दो मैं तुम्हारे क़ाबिल नहीं सुनो! तुम्हारे दर्दों-ग़म पर अपनी ख़ुशियां वारना चाहता हूं कब से गुनहगार हूं माफ़ी का तलबगार हूं सुनो! मेरा होना तुम्हारे बग़ैर बेमानी लगता है [...] More -
उस कली शूल की बात ना कीजिये
उस कली शूल की बात ना कीजिये हो चुकी भूल की बात ना कीजिये उनकी जुल्फों में गुंथ कर खिला रात जो उस दबे फूल की बात ना कीजिये आपको जो लगे प्यारा उसकी कसम सर पड़ी धूल की बात ना कीजिये दर्द की हो दवा बात ऐसी करो बात में तूल की बात ना [...] More -
बज़्म में कुछ ही निराले होते हैं
बज़्म में कुछ ही निराले होते हैं शक्ल से जिनकी उजाले होते हैं कारवाओं को दिखाते वो मंज़िल लोग जो घर से निकाले होते हैं तेग गर्दन पे हमारे होती है और हाथों में निवाले होते हैं यार ऐसे भी सर फिरे देखे है रोज तूफां के हवाले होते हैं दो ज़बानें जो रक्खा करते [...] More -
था वजन एक सा काफिया एक था
था वजन एक सा काफिया एक था एक सा था बयां फलसफा एक था एक 'रा' से शुरू एक 'रा' पे खत्म थे मुसाफिर जुदा रास्ता एक था एक राधा बनी एक मीराँ बनी बातियाँ दो जलीं पर दीया एक था एक सूरत भजे एक सीरत भजे काल जो भी रहा वास्ता एक था ना [...] More -
बाद चारागरी के सिला ये मिला
बाद चारागरी के सिला ये मिला और बढने लगा दर्द का सिलसिला गर नशेमन मेरा जल गया गम नहीं आप तो दूर थे हाथ कैसे जला पुछते हो अगर तुम मेरे हाथ की करने निकले थे हम किसी का भला फूल को जख्म भी तो उसी ने दिए फूल के साथ जो खार अक्सर पला [...] More -
अपने दीवान से भला ना हमारा होगा
अपने दीवान से भला ना हमारा होगा इसके हर शेर से गुजारा तुम्हारा होगा दुनिया बाज़ार है खरीददार होती हर शय मोती होंगे वही कि जिनको पुकारा होगा मैंने हर सांस पे गमों के समन्दर पाए मुझको मझधार सा लगा पर किनारा होगा देखो ना पारसा हमें रिन्द बना कर हरदम हमको भी यार उस [...] More -
तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे
तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे ये क्या खाना खराब पीना चाहे न पैमाना न हद हो मैख़ाने की ये तो बस बे हिसाब पीना चाहे मदहोशी न सुरूर ना बे खबरी दिल जामे इन्कलाब पीना चाहे कोई पहरा कैसे रोके उसको शबनम को गर गुलाब पीना चाहे दुनिया पीती शराब इक मैं ऐसा जिसको कि [...] More -
मीत यूँ न ये समय बरबाद कर
मीत यूँ न ये समय बरबाद कर आज फिर से देश की तू बात कर। देख आतंक हर तरफ मंडरा रहा आदमी इस देश का घबरा रहा सपन देखे जो भगत आजाद ने कौन उनपर आज कहर ढा रहा सो नहीं तू आज तहकीकात कर आज फिर से देश की तू बात कर। मीत क्या [...] More