तुम्हारा मौन उसकी मुस्कराहट के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान है या फिर ख़ुद की हक़ीकत जानने के बाद का गुस्सा अपने ही ख़िलाफ़ अगर यह झूठ है तो सच क्या है तुम्हारी ख़ामोशी या उसकी मुस्कराहट जो तुम्हें पसंद नहीं | - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] [...]
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तुम्हारा मौन
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तुम धरती हो
तुम धरती हो रचती हो आसमान के सपने बुझाती हो उसकी प्यास तुम्हारे ही दम से जगमगा उठते हैं उसके चांद-तारे-सूरज खिलाती हो फूल भरती हो जीवन के रंग मगर तुम्हारी ज़िन्दगी बदरंग सवाल तो करना ही होगा आकाश से | - इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] [...] More -
बदलते समय के साथ
बदलते समय के साथ तुम्हें भी बदलना होगा तोड़ने होंगे अपने मन के सदियों से बन्द दम घोटते उन रिवाज़ों के दरवाज़े और रोशनदान लेनी होगी तुम्हें खुल के सांस गाने होंगे मन के गीत उड़ाने होंगे अपने डर के परिंदे यह आकाश यह ज़मीन यह दुनिया सब तुम्हारे हैं सब-कुछ तुम्हारा तुम रचती हो [...] More -
वह नहीं बुलाता है
वह नहीं बुलाता है तो जाते ही क्यूं हो उसके सामने और जब जाते हो तो शिकायत कैसी वह कुछ भी तो नहीं कहता कभी किसी को फिर यह ग़ुस्सा यह बौखलाहट कैसी जब सवाल तुम्हारे हैं तो जवाब भी देने होंगे नहीं दे सकते तो छोड़ दो उसके सामने जाना मान लो अपनी हार [...] More -
गोरा गोरा है बदन
गोरा गोरा है बदन काले काले बाल ठुमक ठुमक गोरी चले मन में उड़े गुलाल सुबहा तक जागे रहे दोनों सारी रात नयनों से करते रहे अपने दिल की बात मौसम सब्र न कर सका डोल गया ईमान चन्दा की जब चाँदनी भरने लगी उड़ान ये शहर है गाँव नहीं गाँठ बाँध ले यार रिश्ते [...] More -
बड़ी बड़ी ना बात कर
बड़ी बड़ी ना बात कर और न ऊँची फेंख खींच सके तो खींच दे उससे लम्बी रेख नाच रहा हर आदमी गन्दा हो या नेक वक़्त और हालात के आगे घुटने टेक इन्तज़ार करता नहीं वक़्त किसी का यार हमको करना चाहिए वक़्त का इन्तज़ार उसकी ही होती सदा, भाई! दुआ कबूल सपने में भी [...] More -
छोटी छोटी बात में
छोटी छोटी बात में बड़ी छुपी हैं बात इनको आत्मसात कर बदलेंगे हालात उसने मानी ही नहीं अपनी गलती आप देख ! तभी तो कर रहा बैठ यहां संताप संभव सब कुछ है यहाँ करता रह प्रयास मंजिल चूमेगी तुझे रख खुद पर विश्वास सच को हिय-आंगन सजा सच से ही कर प्यार खुद आयेगा [...] More -
लिख गाथा चितौड़ की
लिख गाथा चितौड़ की कर इसका गुणगान इसके वीरों का ह्रदय से सम्मान पत्रा के उस त्याग का कैसे करूं बखान शब्द नहीं हैं पास में ओ ! मेरे भगवन जिसके वीरों ने सदा दुश्मन दिये निचोड़ आन-मान सम्मान का गढ़ है ये चित्तौड़ जौहर ज्वाला बन गई खींच गई वो रेख बाल न बाँका [...] More -
कुछ तो अपनी बात कर
कुछ तो अपनी बात कर कुछ सुन मेरी बात ऐसे ही कट जायेगी अपनी काली रात बस उसकी अरदास कर नहीं बहा यूँ नीर दुख बदली छंट जायेगी थोड़ा तो रख धीर घर - नारी को पीटता, कैसा है इंसान पर नारी को दे रहा देखो ! कितना मान साथ रोज आता यहां पी जाता [...] More