तुम धरती हो रचती हो आसमान के सपने बुझाती हो उसकी प्यास तुम्हारे ही दम से जगमगा उठते हैं उसके चांद-तारे-सूरज खिलाती हो फूल भरती हो जीवन के रंग मगर तुम्हारी ज़िन्दगी बदरंग सवाल तो करना ही होगा आकाश से | – इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
तुम धरती हो
तुम धरती हो
रचती हो
आसमान के सपने
बुझाती हो
उसकी प्यास
तुम्हारे ही दम से
जगमगा उठते हैं
उसके चांद-तारे-सूरज
खिलाती हो फूल
भरती हो
जीवन के रंग
मगर तुम्हारी ज़िन्दगी
बदरंग
सवाल तो करना ही होगा
आकाश से |
– इरशाद अज़ीज़
इरशाद अज़ीज़ जी की कविता
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