Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • अत्याचार सहने पर कविता, गोविन्द व्यथित

    एक इन्सान का जिस्म

    एक इन्सान का जिस्म सड़क पर खुले आम बोटियों में बाँटकर कर दिया गया लावारिस जानवरों के नाम लोंगो ने या तो उधर से गुजरते हुए आँखे मूँद लीं उपेक्षा से या तो फिर खड़े रहे चुपचाप मूक दर्शक बनकर तमाशा बीन की तरह और कर भी क्या सकते थे बेचारे बोलते तो वो भी [...] More
  • सत्य और हवा पर कविता, गोविन्द व्यथित

    धीमे – धीमे बहती हवा

    धीमे - धीमे बहती हवा दौड़ने लगी अचानक कमर के बल झुके कूबड़े पेड़ ने तालियाँ बजानी शुरू कर दीं हवा ने सिर्फ इतना ही कहा तुम बड़े वैसे हो सच बात भी कह देते हो फिर वह भेड़ी हुई खिड़कियों को खोलकर मेज तक पहुँच गयी मेरी डायरी के पन्नों को तेजी से उलटने [...] More
  • प्यार में मिली जुदाई पर कविता, एकता खान

    साथ निकले थे जिनके

    साथ निकले थे जिनके हमसफ़र समझ के, मंज़िलें उनकी हमसे जुदा थीं। सफ़र जो ज़िंदगी से शुरू हुआ था अपना, मौत तक साथ चलने की बात थी। राहें उनकी हमसे कुछ ऐसे जुदा हुई, अजनबी से हो गए जो अपने थे कभी। तनहाइयाँ कुछ ऐसी मिलीं उनसे, जो कभी ज़िंदगी कहते थे हमें। - एकता [...] More
  • धनवानों का ही भला,

    धनवानों का ही भला, करने वाले लोग । छाती में नासूर हैं, दूर हटाओ रोग । जल्दी से इस रोग का, कर दो जी उपचार । वरना बढ़ता जायगा, इनका अत्याचार - इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो [...] More
  • तजो बातें हिंदुओं

    तजो बातें हिंदुओं से मुसलमा की लड़ाई की । करो कोशिश हमेशां अब चन्द्रमाँ पर चढ़ाई की । कदम मिलकर बढ़ाने का चलन पैदा करो ऐसा, यही सच्ची सही सौग़ात होगी फिर बड़ाई की । - इक़बाल हुसैन ‘इक़बाल’ इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की कविता इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह [...] More
  • मेरे दिए संस्कारो का

    मेरे दिए संस्कारो का पालन तुम कर लेना, सच्चा है यह श्राद्ध तुम कर लेना । मेहनत व ईमानदारी से धन तुम कमा लेना, सच्चा है यह श्राद्ध तुम कर लेना । बडे-बुजर्गो की सेवा कर जन्म सफल कर लेना सच्चा है यह श्राद्ध तुम कर लेना । दीन-दु:खियो की सेवा अर्पण कष्ट उनके तुम [...] More
  • सचाई के साथ चलने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    यह झुठ है कि हमे

    यह झुठ है कि हमे जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है । बल्कि जिंदगी हमे हर रोज मुस्कराती हुई, गाती हुई मिलती है । हम जिंदगी से सब कुछ वक्त से पहले चाहते है । जबकि जिंदगी हमे सब वक्त पर ही देती है । जिंदगी के साथ-साथ चलो मंजिल तक ले जाएगी । [...] More
  • आज के सचाई पर कविता, गोविन्द व्यथित

    पुराने देवताओं की जगह

    पुराने देवताओं की जगह नये-नये देवताओं ने कार्यभार सँभाला और पुराने देवों को उनके देवालयों से बलपूर्वक निकाला क्योंकि वे चार्ज लेने-देने में कर रहे थे आनाकानी लेकिन ये नये देवता भी करने लग गये मन-मानी नये देवता के नये मन्दिरों में इन्सानों की कुर्बानी यह देख पुराने देवता अपने-अपने हाल पर रो रहे हैं [...] More
  • भिखारी के जीवन पर कविता, गोविन्द व्यथित

    वह भिखारी है

    वह भिखारी है भूख से व्याकुल धँसी हुई आँखें भूखी हैं और प्यास से प्यासी हैं कितनी उदासी हैं माँग रहा है पैसा-दो पैसा टुकड़ी भर रोटी तैयार है बेचने को लहू अपने तन की बोटी घूम रहा, बेचारा, लाचार गाँव-गाँव, शहर-शहर घर-घर, बाजार-बाजार और द्वारे-द्वारे हाथों को पसारे दूसरे को अभिनय का शौक है [...] More
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