अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये फ़लसफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये रौनके ज़माना ये उम्र की ख़ुमारी, सब बेवफ़ा समझकर आना हमारे पास । सौदा ए इश्क़ यूँ भी बिल्कुल अजीब शय है, घाटा सफा समझकर आना हमारे पास । देखीं हैं सिर्फ तुमने हमारी मुरव वतें, अब हैं ख़फ़ा समझकर [...]
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अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास
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लूट रहे सब बदल के चेहरा
लूट रहे सब बदल के चेहरा सब अन्धे हैं जग है बहरा रिश्ते नातों की मत पूछो सब छिछले हैं कोई न गहरा जब करते वो तेरा मेरा जीवन लागे ठहरा ठहरा सच के आँगन झूठ हँसे है कौन लगाये इस पे पहरा लूट रहे बाला की इज़्जत मानवता पे दाग़ है गहरा -जगदीश तिवारी [...] More -
अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी
अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी, नए संकल्प, नव सामाजिक कर्म, अँधेरी दुनिया को जगमगाने को, अज्ञानता, द्ररिदता, कुपोषण को, जड़ से मिटाने, दूर करने समाज से। एक नया ज्ञान का आलोक फैलाने, दृढ़ संकल्प है, मजबूत-नेक इरादे रोशन करने उस जहाँ को, जहाँ तम का घोर बसेरा है। आओ हम सब भी उस ज्योत को, [...] More -
जज़्बातों के सरस – सरोवर
जज़्बातों के सरस - सरोवर, पर किसने डाका डाला, टूट गईं क्यों प्यार की लड़ियाँ तोड़़ी है किसने माला? जिन रिश्तों को सींच, पूर्वजों ने गुलशन गुलजार किया, आग लगायी उस चिराग ने, स्नेह लुटा जिसको पाला। प्रात काल में बाल सूर्य को स्नेह अर्घ्य से सींचा था, चला गया जब शाम हुई तो, आवारा [...] More -
रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन
रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन बातिल के सामने हुए सीना सिपर हुसैन फ़ोजे यज़ीद को किया ज़ेरो ज़बर हुसैन ये आपका है आपका क़ल्बे जिगर हुसैन राहें वफ़ा में हम भी कटा दें ये सर हुसैन हम को अता हो आपका अज़मे सफ़र हुसैन सानी नहीं है आपका दुनिया में [...] More -
ज़ालिमों का रास्ता जुल्मों ज़फा का रास्ता
ज़ालिमों का रास्ता जुल्मों ज़फा का रास्ता है हमारा रास्ता सब्रो - रिज़ा का रासता देखना इब्ने अली शेरे ख़ुद का रास्ता राहे हक़ में सरफ़रोशी उर वफ़ा का रास्ता कर के क़ुरबां जान अपनी अहले हक़ समझा गए सब से अच्छा है यहाँ रब की रज़ा का रास्ता हो गया है क्या से क्या [...] More -
मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को
मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को कि याद कर रहा है ज़माना हुसैन को समझा नहीं यजीद यक़ीनन ये फलसफा करबल से दूर दूर था जाना हुसैन को मसक़न तो उनका सिर्फ़ है ईराक में मगर हर दिल में मिल गया है ठिकाना हुसैन को सर पर खड़ी हैं ग़म की घटाएं तो [...] More -
जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने
जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने मेरे क़लम से वो ही लिखाये हुसैन ने ख़ुश्बू महक रही है फ़ज़ाओं में आज भी कुछ फूल इस तरह के खिलाये हुसैन ने सदियाँ गुज़र गईं हैं मगर आज देखिये उभरे हैं जो नुकूश बनाये हुसैन ने दुनिया को इक चराग़ दिखाने के वास्ते सब दीप [...] More -
बुझ रहे थे रफ़्ता रफ़्ता जो फ़सीलों के चराग़
बुझ रहे थे रफ़्ता रफ़्ता जो फ़सीलों के चराग़ आपने आकर जलाये वो उमीदों के चराग़ दिल बहुत मायूस था तो ज़िन्दगी रूठी हुई अब हवा से लड़ रहे हैं हम मुरीदों के चराग़ -विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की मुक्तक विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More