मैं सदा हँसता रहा हूँ इसलिए ज़िन्दा रहा हूँ हार कैसे मान लूँ मैं आप का चेला रहा हूँ बेवफ़ा बनकर रहे तुम मैं वफ़ा करता रहा हूँ आप से रिश्ता बनाकर आजतक पछता रहा हूँ दुश्मनों की कुछ न पूछो मैं उन्हें खलता रहा हूँ मार डाला था मुझे तो फिर भी मैं ज़िन्दा [...]
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मैं सदा हँसता रहा हूँ
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अन्न का भंडार
अन्न का भंडार फूलों की बहार नव कोपलें फूट रही नव वर्ष का संचार खेतों की फसल खुली तिजोरी बेईमान मौसम करता सीनाजोरी बाजार का हाल बड़ा बेहाल बिकता विज्ञापन घटिया माल झड़े पात छूटा साथ कोपलें फूटी नव प्रभात दुखी गरीब है मरीज़ मांगता इलाज मौत नसीब पुलिस का डंडा निर्दोष का फंदा अपराधी [...] More -
गीत-चँदा ओ चँदा
गीत - चँदा ओ चँदा गीत - चँदा ओ चँदा चँदा ओ चँदा, देर न करना, संग चाँदनी के, दर्शन देना । निर्जल रहकर व्रत रखूँ मै, सखियो संग बाट जोऊ मै अखण्ड सुहागन का वर देना संग चाँदनी के, दर्शन देना। माँग मे टीका और सिंदूर, बनूँ मै दूल्हन यही दस्तूर । अमर रहे [...] More -
लगा रहे कलम
लगा रहे कलम हो रहा कृत्रिम गर्भाधान पैदा करने उन्नत बीज - फल वर्ण संकर के जानवर परिणाम अधिक उत्पादन अधिक पैदावार हम कहते हैं विकास - आर्थिक उन्नति अनजाने - अनचाहे हम खो रहे अपना मूल अपनी पहचान अपनी खुशबू अपनी औषधी अपनी अमृत कलश जुटा रहे पेट भरने का सामान पा रहे लाइलाज [...] More -
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए
आँखों में अश्रु प्रवाह लिए । दिल में वियोग की आह लिए ।। वह सरहद को प्रस्थान किया, दायित्व बोध का भान किया, कुछ बूँद अश्क की ले आया, तनहाई फिर से दे आया, सोते बच्चे को छोड़ चला, खुद अपने मुँह को मोड़ चला, जल्दी आने की चाह लिए । आँखों में अश्रु प्रवाह [...] More -
भारत माँ की लाज रखी है
भारत माँ की लाज रखी है माँओं की कुर्बानी ने बच्चा जनकर जवाँ बनाना, साधारण सी बात नहीं । जाग - जागकर काटी ना हो, ऐसी कोई रात नहीं ।। एक साल तक उदर और फिर आँचल में ढँककर रखना । गर्म, झाल, अनजान खाद्य को, बच्चे से पहले चखना ।। मूक गले में भी [...] More -
ले जाऊँगा मैं एक दिन सूरज को जेब में
ले जाऊँगा मैं एक दिन सूरज को जेब में करवट बदलना रात भर तारे शुमार कर -इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की सूर्य पर कविता इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
दिल से दुनिया निकाल कर आना
दिल से दुनिया निकाल कर आना ऐसा कोई कमाल कर आना -इरशाद अज़ीज़ इरशाद अज़ीज़ जी की दुनिया पर शायरी इरशाद अज़ीज़ जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More -
जीने का फलसफा यूँ सिखाया हुसैन ने
जीने का फलसफा यूँ सिखाया हुसैन ने मरना भी ज़िन्दगी है बताया हुसैन ने इक रौशनी सी फैलती जाती थी हर तरफ़ जब - जब क़दम भी अपना बढ़ाया हुसैन ने उस वक़्त इक अजीब ही आलम था सामने तलवार को जो हाथ लगाया हुसैन ने घर बार करबला में लुटाकर बसद ख़ुशी यूँ भी [...] More