• आज के समय की सचाई पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची

    आ-मदे फिक्र की रवाँ बेची शान झूठी रखी अनां बेची वर्क इतिहास के गवाही दें कौनसी चीज़ कब कहाँ बेची [...] More
  • तू नज़र कुछ तो मिला

    तू नज़र कुछ तो मिला तेरा इशारा चाहिए रूठकर मत जा सनम तेरा सहारा चाहिए आदमी बनकर रहूँगा ये मेरा [...] More
  • समय के साथ परिवर्तन पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    आदमी को क्या हुआ

    आदमी को क्या हुआ ये कह रहा है आइना लड़ रहे क्यों आदमी ये सोचता है आइना मारता क्यों आदमी [...] More
  • भेदभाव चोर एक होने पर गीत, जगदीश तिवारी

    चुप्पी साधे

    चुप्पी साधे जब व्यक्ति मौन होता है मौन मे ही प्रश्न का हवाला होता है । दूसरों को जानने से [...] More
  • अचे साथी की तलाश पर कविता, एकता खान

    जो मेरा हाल पढ़ सके

    जो मेरा हाल पढ़ सके वो नज़र ढूँढती हूँ जो मेरे दिल में उतर सके वो बशर ढूँढती हूँ लाखों [...] More
  • दिल को मालूम है

    दिल को मालूम है तू बस ख़्वाब ही है फिर क्यों तुझे पाने की ख़्वाहिश दबी सी है मीलों का [...] More
  • ज़िन्दगी की बेबसी पर कविता, एकता खान

    ज़िंदगी की भाग दौड़

    ज़िंदगी की भाग दौड़ और गिनती की ये साँसे जिन्हें देखना चाहते हैं ख़ुश दूर उन्ही से हैं सारा दिन [...] More
  • अक्टूबर इकतीस को,

    अक्टूबर इकतीस को, जन्मे सन्त सुजान। झवेर भाई लाडबा, की चौथी सन्तान।। कष्टों से जब हुआ सामना, देश प्रेम की [...] More
  • सरदार वल्लभभाई पटेल पर छंद, अवधेश कुमार ‘रजत’

    प्रतिमा विशाल यदि

    प्रतिमा विशाल यदि बनी सरदार की जो, वामी पीडी छाती पीट करते विलाप क्यों। एक परिवार के ही नाम सारी [...] More
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