• अत्याचार सहने पर कविता, गोविन्द व्यथित

    एक इन्सान का जिस्म

    एक इन्सान का जिस्म सड़क पर खुले आम बोटियों में बाँटकर कर दिया गया लावारिस जानवरों के नाम लोंगो ने [...] More
  • सत्य और हवा पर कविता, गोविन्द व्यथित

    धीमे – धीमे बहती हवा

    धीमे - धीमे बहती हवा दौड़ने लगी अचानक कमर के बल झुके कूबड़े पेड़ ने तालियाँ बजानी शुरू कर दीं [...] More
  • प्यार में मिली जुदाई पर कविता, एकता खान

    साथ निकले थे जिनके

    साथ निकले थे जिनके हमसफ़र समझ के, मंज़िलें उनकी हमसे जुदा थीं। सफ़र जो ज़िंदगी से शुरू हुआ था अपना, [...] More
  • धनवानों का ही भला,

    धनवानों का ही भला, करने वाले लोग । छाती में नासूर हैं, दूर हटाओ रोग । जल्दी से इस रोग [...] More
  • तजो बातें हिंदुओं

    तजो बातें हिंदुओं से मुसलमा की लड़ाई की । करो कोशिश हमेशां अब चन्द्रमाँ पर चढ़ाई की । कदम मिलकर [...] More
  • मेरे दिए संस्कारो का

    मेरे दिए संस्कारो का पालन तुम कर लेना, सच्चा है यह श्राद्ध तुम कर लेना । मेहनत व ईमानदारी से [...] More
  • सचाई के साथ चलने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    यह झुठ है कि हमे

    यह झुठ है कि हमे जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है । बल्कि जिंदगी हमे हर रोज मुस्कराती हुई, [...] More
  • आज के सचाई पर कविता, गोविन्द व्यथित

    पुराने देवताओं की जगह

    पुराने देवताओं की जगह नये-नये देवताओं ने कार्यभार सँभाला और पुराने देवों को उनके देवालयों से बलपूर्वक निकाला क्योंकि वे [...] More
  • भिखारी के जीवन पर कविता, गोविन्द व्यथित

    वह भिखारी है

    वह भिखारी है भूख से व्याकुल धँसी हुई आँखें भूखी हैं और प्यास से प्यासी हैं कितनी उदासी हैं माँग [...] More
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