• दीवानगी पर ग़ज़ल, विनय साग़र जायसवाल

    फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह

    फ़ासला मंज़िले -मक़सूद हमेशा की तरह दिल में होती है उछल कूद हमेशा की तरह इक नज़र देख लिया नाज़ो-अदा से उसने जल उठी फिर.कहीं बारूद हमेशा की तरह जब भी देखा है किसी सम्त उठा कर नज़रें दूर तक आप हैं मौजूद हमेशा की तरह जो भी आया हमें अपनी ही सुनाता आया कोई [...] More
  • ज़माने पर ग़ज़ल, विनय साग़र जायसवाल

    आहटें हैं ये उनके आने की

    आहटें हैं ये उनके आने की चमकी क़िस्मत ग़रीबखाने की है अदा यह भी रूठ जाने की कोई कोशिश करे मनाने की इन अदाओं को हम समझते हैं बात छोड़ो भी आने-जाने की आज छाई हुई है काली घटा याद आती है आशियाने की यह तेरे प्यार का करिश्मा है धूम है हर तरफ़ फ़साने [...] More
  • उसके वहमो गुमान में रहना

    उसके वहमो गुमान में रहना हर घड़ी इम्तिहान में रहना बनके बादल किसी की यादॊ का फ़िक़्र के आसमान मे रहना दुश्मनी क्यों किसी से हम रक्खे कब तलक है जहान में रहना रूह भी चाहती है आज़ादी क्यों बदन के मक़ान में रहना करके एहसान जो जताते हैं क्यों समझते हैं शान में रहना [...] More
  • दुनियएकता कहा है, पी एल बामनिया

    दुनिया मे प्रदूषण कम कहाँ है

    दुनिया मे प्रदूषण कम कहाँ है रहने के जैसा मौसम कहाँ है। इंसान को इंसान नजर आता नही अभिमान का धुंआ कम कहाँ है। हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सब एक जगह बैठे ऐसी जाजम कहाँ है एकता की बात हम रोज करते है एक साथ उठने वाले कदम कहाँ है। टेक्स जी भर कर लगा [...] More
  • वफ़ा पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास

    अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये फ़लसफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये रौनके ज़माना ये उम्र की ख़ुमारी, सब बेवफ़ा समझकर आना हमारे पास । सौदा ए इश्क़ यूँ भी बिल्कुल अजीब शय है, घाटा सफा समझकर आना हमारे पास । देखीं हैं सिर्फ तुमने हमारी मुरव वतें, अब हैं ख़फ़ा समझकर [...] More
  • बदलते चेहरे पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    लूट रहे सब बदल के चेहरा

    लूट रहे सब बदल के चेहरा सब अन्धे हैं जग है बहरा रिश्ते नातों की मत पूछो सब छिछले हैं कोई न गहरा जब करते वो तेरा मेरा जीवन लागे ठहरा ठहरा सच के आँगन झूठ हँसे है कौन लगाये इस पे पहरा लूट रहे बाला की इज़्जत मानवता पे दाग़ है गहरा -जगदीश तिवारी [...] More
  • अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी

    अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी, नए संकल्प, नव सामाजिक कर्म, अँधेरी दुनिया को जगमगाने को, अज्ञानता, द्ररिदता, कुपोषण को, जड़ से मिटाने, दूर करने समाज से। एक नया ज्ञान का आलोक फैलाने, दृढ़ संकल्प है, मजबूत-नेक इरादे रोशन करने उस जहाँ को, जहाँ तम का घोर बसेरा है। आओ हम सब भी उस ज्योत को, [...] More
  • दुनिया बदल रही है, अवधेश कुमार 'अवध'

    जज़्बातों के सरस – सरोवर

    जज़्बातों के सरस - सरोवर, पर किसने डाका डाला, टूट गईं क्यों प्यार की लड़ियाँ तोड़़ी है किसने माला? जिन रिश्तों को सींच, पूर्वजों ने गुलशन गुलजार किया, आग लगायी उस चिराग ने, स्नेह लुटा जिसको पाला। प्रात काल में बाल सूर्य को स्नेह अर्घ्य से सींचा था, चला गया जब शाम हुई तो, आवारा [...] More
  • इमाम हुसैन और कर्बला, इरशाद अज़ीज़

    रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन

    रखते न थे किसी का कोई दिल में डर हुसैन बातिल के सामने हुए सीना सिपर हुसैन फ़ोजे यज़ीद को किया ज़ेरो ज़बर हुसैन ये आपका है आपका क़ल्बे जिगर हुसैन राहें वफ़ा में हम भी कटा दें ये सर हुसैन हम को अता हो आपका अज़मे सफ़र हुसैन सानी नहीं है आपका दुनिया में [...] More
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