• हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा

    हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा, झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा। समंदर से शांत नजर आ रहे हर इंसान के अंतर्मन की गहराई मे भी इक कोलाहल होगा। अगर पढना आ जाए हमको तो, गीता, कुरान, बाइबिल जैसे ग्रंथो मे हर मसले का हल होगा। मेरे मन की जिज्ञासा की [...] More
  • दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर

    दावा था राज करने का, जिनका जहान पर वो सो रहे हैं हार कर, अपने मकान पर जो लोग अपने आप को कहते थे सूरमां फूले हैं हाथ पाँव हक़ीक़त बयान पर सस्ता है आदमी का कलेजा खरीदिये ताज़ा हैं ख़ून लीजिये मेरी दुकान पर क्यों कल की फ़िक्र करें गवायें ये जान हम जो [...] More
  • बच्चा जवां हुआ है हिंदी ग़ज़ल

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के

    बच्चा जवां हुआ है, गोदी में जिसकी पल के है देखता उसी को, तेवर बदल-बदल के माँ के कदम के नीचे, रहती है देख जन्नत जाती है हर मुसीबत, उसकी दुआ से टल के अपने लिए न सोचा, उसने बचाया सबको परिवार की चिमनियों, औ भट्टियों में जल के फँस जायेगा कबूतर, फिर जाल में [...] More
  • आती रही दुश्वारियाँ हिंदी ग़ज़ल

    आती रही दुश्वारियाँ, सजी रही क्यारियाँ

    आती रही दुश्वारियाँ सजी रही क्यारियाँ वक्त हमें सिखाता रहा करते रहे नादानियाँ अपने हाथ में परवरिश बुलाते रहे बीमारियाँ चौंक गए मुसीबत में की नहीं तैयारियां महक रहा चमन आज वीरों ने दी कुर्बानियां करना था जो किया नहीं झेल रहे परेशानियां दाल में कुछ काला है कर रहा मेहरबानियां याद करते उसे सभी [...] More
  • प्यार की जो फ़सल बो गए

    प्यार की जो फ़सल बो गए

    प्यार की जो फ़सल बो गए आदमी वो किधर को गए फूल ही फूल थे सब यहाँ कौन काँटे इधर बो गए हम कहें अब किसे आदमी आदमी तो असल खो गए देख बदलाव कैसा हुआ गाँव भी अब शहर हो गए जो कभी थे हमारा जिगर ग़ैर के हमसफ़र हो गए बाद मुद्दत के [...] More
  • विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं

    विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं

    विचारों में जहाँ गहराइयाँ हैं ग़ज़ल लेती वहीं अंगड़ाइयाँ हैं जिसे चाहा हमें मिल जाए गर वो सताती फिर नहीं तनहाइयाँ हैं शजर काटे गए जिस गाँव में भी वहाँ चलती नहीं पुरवाइयाँ हैं क़दम अपने वहीं रखना सनम तुम जहाँ हँसती सदा अच्छाइयाँ हैं समय के साथ जो चलता हमेशा उसे आती नहीं कठिनाइयाँ [...] More
  • सावन का मौसम है फिर भी

    सावन का मौसम है फिर भी क्यों पसरा है पतझर

    कुछ भी ना बाहर है बाबा जो भी है भीतर है बाबा सावन का मौसम है फिर भी क्यों पसरा है पतझर बाबा वहीं क़दम अपने रखने हैं जहाँ मिले आदर है बाबा उतने ही तुम पैर पसारो जितनी चादर घर है बाबा बेघर क्यों कहते हो खुद को अपने भीतर घर है बाबा उससे [...] More
  • अपनी तक़दीर ख़ुद ही लिखता है

    यार वो भी कमाल करता है

    यार वो भी कमाल करता है अपने दुश्मन को साथ रखता है हाथ में एक गुलाब रखता है और हँस हँस के बात करता है जिनसे उसे यहां मिला धोखा उन पे ही एतबार करता है अपनी ग़लती पे ख़ुद ही अपने से आप ही आप ख़ुद से लड़ता है रौशनी बांटता है दुनियां को [...] More
  • आयीं ज़िम्मेदारियाँ, तो आशिकी जाती रही

    शौक़ सारे छिन गये, दीवानगी जाती रही

    शौक़ सारे छिन गये, दीवानगी जाती रही आयीं ज़िम्मेदारियाँ, तो आशिकी जाती रही मांगते थे ये दुआ हासिल हो हमको दौलतें और जब आयी अमीरी, शायरी जाती रही मय किताब-ए-पाक़ मेरी, और साक़ी है ख़ुदा बोतलों से भर गया दिल, मयकशी जाती रही रौशनी थी जब मुकम्मल, बंद थीं ऑंखें मेरी खुल गयी आँखें मगर [...] More
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