हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा, झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा। समंदर से शांत नजर आ रहे हर इंसान के अंतर्मन की गहराई मे भी इक कोलाहल होगा। अगर पढना आ जाए हमको तो, गीता, कुरान, बाइबिल जैसे ग्रंथो मे हर मसले का हल होगा। मेरे मन की जिज्ञासा की प्यास बुझाने वाला भी इस आसमान मे जरूर कोई एक बादल होगा । अगर प्रेम की नदियाँ बहती रही तो ये नफरत, का ऊंचा नीचा मैदान इक दिन समतल होगा। पी जाए इन फिजाओ मे फैले जहर के प्याले, कलियुग मे भी तो ऐसा कोई नीलकमल होगा। ये हिमालय से ऊचे अमीरी के पर्वत पिघले तो धरती पर हर गरीब के हाथ मे गंगाजल होगा। – पी एल बामनिया पी एल बामनिया जी की आशावादी ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा
हर एक मसले का जरूर कोई हल होगा,
झोपड़ी के ख्वाबो मे भी इक महल होगा।
समंदर से शांत नजर आ रहे हर इंसान के
अंतर्मन की गहराई मे भी इक कोलाहल होगा।
अगर पढना आ जाए हमको तो, गीता, कुरान,
बाइबिल जैसे ग्रंथो मे हर मसले का हल होगा।
मेरे मन की जिज्ञासा की प्यास बुझाने वाला भी
इस आसमान मे जरूर कोई एक बादल होगा ।
अगर प्रेम की नदियाँ बहती रही तो ये नफरत,
का ऊंचा नीचा मैदान इक दिन समतल होगा।
पी जाए इन फिजाओ मे फैले जहर के प्याले,
कलियुग मे भी तो ऐसा कोई नीलकमल होगा।
ये हिमालय से ऊचे अमीरी के पर्वत पिघले तो
धरती पर हर गरीब के हाथ मे गंगाजल होगा।
– पी एल बामनिया
पी एल बामनिया जी की आशावादी ग़ज़ल
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