Tag Archives: इक़बाल हुसैन ‘इक़बाल’

  • जूते रिश्तो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत

    ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत होती ना ये दुनिया मीत झूठे रिश्ते झूठे लोग झूठी इनकी सारी प्रीत अब समझे हम जीवन को समय गया जब सारा बीत और डराएं उसको लोग जो जितना होता भयभीत दिन भी जलता जलती रात जलते बीते सावन शीत समय बड़ा विषदंती है तेरा है ना मेरा मीत भोले निकले [...] More
  • फूल पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    छोड़ चला जब डाली फूल

    छोड़ चला जब डाली फूल भूल गया सब लाली फूल जब खुसबू काफूर हुई सिर्फ बचा है खली फूल अब गुलशन में कांटों की करते हैं रखवाली फूल चेहरों के गुलदस्तो में हमने देखे जाली फूल मंडी में बाजारों में करते है हम्माली फूल देरौहरम के झगड़ों पर रोऐ उपवन माली फूल - इक़बाल हुसैन [...] More
  • दोस्ती पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    सिफारिश से शोहरत नहीं चाहिए

    सिफारिश से शोहरत नहीं चाहिए अब किसी की इनायत नहीं चाहिए बागबां से परिंदों ने कह ही दिया अब चमन में शरारत नहीं चाहिए दोस्ती से यकीं उठ गया इस कदर दोस्तों की हिफाज़त नहीं चाहिए जिसकी बुनियाद हो आदमी का लहू मुल्क को वो सियासत नहीं चाहिए जिस्म सजकर बज़ारों में बिकने लगे हद [...] More
  • अहसास पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    उस कली शूल की बात ना कीजिये

    उस कली शूल की बात ना कीजिये हो चुकी भूल की बात ना कीजिये उनकी जुल्फों में गुंथ कर खिला रात जो उस दबे फूल की बात ना कीजिये आपको जो लगे प्यारा उसकी कसम सर पड़ी धूल की बात ना कीजिये दर्द की हो दवा बात ऐसी करो बात में तूल की बात ना [...] More
  • फितरत पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बज़्म में कुछ ही निराले होते हैं

    बज़्म में कुछ ही निराले होते हैं शक्ल से जिनकी उजाले होते हैं कारवाओं को दिखाते वो मंज़िल लोग जो घर से निकाले होते हैं तेग गर्दन पे हमारे होती है और हाथों में निवाले होते हैं यार ऐसे भी सर फिरे देखे है रोज तूफां के हवाले होते हैं दो ज़बानें जो रक्खा करते [...] More
  • प्रेम की दीवानी ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    था वजन एक सा काफिया एक था

    था वजन एक सा काफिया एक था एक सा था बयां फलसफा एक था एक 'रा' से शुरू एक 'रा' पे खत्म थे मुसाफिर जुदा रास्ता एक था एक राधा बनी एक मीराँ बनी बातियाँ दो जलीं पर दीया एक था एक सूरत भजे एक सीरत भजे काल जो भी रहा वास्ता एक था ना [...] More
  • दर्द का सिलसिला ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    बाद चारागरी के सिला ये मिला

    बाद चारागरी के सिला ये मिला और बढने लगा दर्द का सिलसिला गर नशेमन मेरा जल गया गम नहीं आप तो दूर थे हाथ कैसे जला पुछते हो अगर तुम मेरे हाथ की करने निकले थे हम किसी का भला फूल को जख्म भी तो उसी ने दिए फूल के साथ जो खार अक्सर पला [...] More
  • उम्मीद पर ग़ज़ल ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    अपने दीवान से भला ना हमारा होगा

    अपने दीवान से भला ना हमारा होगा इसके हर शेर से गुजारा तुम्हारा होगा दुनिया बाज़ार है खरीददार होती हर शय मोती होंगे वही कि जिनको पुकारा होगा मैंने हर सांस पे गमों के समन्दर पाए मुझको मझधार सा लगा पर किनारा होगा देखो ना पारसा हमें रिन्द बना कर हरदम हमको भी यार उस [...] More
  • तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे

    तबियत कुछ लाजवाब पीना चाहे ये क्या खाना खराब पीना चाहे न पैमाना न हद हो मैख़ाने की ये तो बस बे हिसाब पीना चाहे मदहोशी न सुरूर ना बे खबरी दिल जामे इन्कलाब पीना चाहे कोई पहरा कैसे रोके उसको शबनम को गर गुलाब पीना चाहे दुनिया पीती शराब इक मैं ऐसा जिसको कि [...] More
Updating
  • No products in the cart.