देख के तेरा बचपन याद आता है कुछ अपना भी चिंता ना कल की ना किसी काम की चिड़िया उड़, गुड़िया की शादी खेला करते थे सब देख के तेरा बचपन याद आता है कुछ अपना भी मस्ती के पल गर्मी के वो दिन लूडो कैरम बिज़्नेस का खेल ना आएँगे अब वो दिन देख [...]
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देख के तेरा बचपन
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लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ
चमन में आग तुम लगाते हो क्यूँ वतन का नाम तुम मिटाते हो क्यूँ देश के चंद ग़द्दारों को तुम यू बचाते हो क्यूँ चंद पैसों के लिए तुम ईमान को गिराते हो क्यूँ झूठे झूठे ख़्वाब दिखाके हँसा के फिर रुलाते हो क्यूँ वतन पे मर मिटने वालों के घर को भी खा जाते [...] More -
सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ
ना मंज़िल है कोई ना कोई कारवाँ बढ़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ कुछ पल बचा लो अपनो के लिए जो देखोगे पलट के, ये मिलेंगे कहाँ वक़्त का तक़ाज़ा कहता है यही जो बीत गये पल, फिर आएँगे कहाँ आओ इस पल को यादगार बना लें जो बातें होंगी अभी, फिर करेंगे कहाँ [...] More -
आज दिल में मिरे भरे हैं जो
आज दिल में मिरे भरे हैं जो लफ़्ज़ तेरे खरे खरे हैं जो देखकर यूँ मुझे परेशां तुम आम इंसा से हम परे हैं जो कस्मेवादे सभी तुम्हारे थे याद बनके धरे धरे हैं जो साथ मेरे यहाँ रहोगे तुम ये इरादे मरे मरे हैं जो सब बयाँ कर गये कहानी में अश्क़ आँखों में [...] More -
आप सा कोई देखा नही
आप सा कोई देखा नही दिल कहीं और लगता नही हसरतें मेरी जगने लगीं दर्देदिल मेरा मिटता नही रहता है मुझसे अंजान वो आज तक दिल ये समझा नही बेपनहा इश्क़ तुझसे हुआ कैसे तुझको ये दिखता नही सिर्फ़ मैंने ही समझा तुझे तूने क्यूँ मुझको समझा नही याद तू ही रही है मुझे मैंने [...] More -
तुम्हें ये कैसे समझाएँ
हमें तुमसे मोहब्बत है तुम्हें ये कैसे समझाएँ तड़प अपनी जुदाई की तुम्हें हम कैसे समझाएँ तेरे आने की आहट को मेरा दिल जान लेता है बड़ी शिद्दत की चाहत है तुम्हें ये कैसे समझाएँ तुम आके भी नही आते तो दिल बेचैन होता है हमारे दिल की धड़कन को बताओ कैसे समझाएँ तेरी साँसों [...] More -
वो शरीके हयात हुई
उनसे जब मुलाक़ात हुई दिल मिले और बात हुई यहाँ इश्क़ अफ़ात हुई आए तुम कायनात हुई उल्फ़ते उनसे ऐसी मिली अश्क़ों की बरसात हुई उसने शिद्दत से चाहा मुझे खुशियो की सौग़ात हुई मेरे दामन में चाहत भरा खत्म अब काली रात हुई मिलने वो जो आए मुझे आज फिर बरसात हुई छॊडकर सारी [...] More -
बाप बूढ़ा रक़म को भटकता रहा
वो ग़रीबी से हर रोज़ मरता रहा सर नगीने जड़ा ताज सजता रहा राजनीति का स्तर है ऐसा गिरा आम इंसान इसमें उलझता रहा रोटीयों के लिए हम तरसते रहे और गोदाम में धान सड़ता रहा बेटियाँ ब्याह की चाह में ही रहीं बाप बूढ़ा रक़म को भटकता रहा राह दुशवार भी हर क़दम पर [...] More -
छुपा है प्यार जो वो दिल मे दिखाऊँ कैसे
छुपा है प्यार जो वो दिल मे दिखाऊँ कैसे लफ्ज़ मिलते ही नही बोलो मैं गाऊँ कैसे तेरे वादे वफ़ा से साँस मेरी चलती है बचा नहीं है कोई रास्ता जाऊँ कैसे तेरे जाने के बाद वक़्त ठहरा-ठहरा है उठी है टीस बोलो दिल मे दिखाऊँ कैसे अश्क आँखो से नहीं दिल से बहाया हमने [...] More