चमन में आग तुम लगाते हो क्यूँ वतन का नाम तुम मिटाते हो क्यूँ देश के चंद ग़द्दारों को तुम यू बचाते हो क्यूँ चंद पैसों के लिए तुम ईमान को गिराते हो क्यूँ झूठे झूठे ख़्वाब दिखाके हँसा के फिर रुलाते हो क्यूँ वतन पे मर मिटने वालों के घर को भी खा जाते हो क्यूँ लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ हम एक थे और एक ही रहेंगे सदा हमें तोड़ने की साज़िश रचाते हो क्यूँ ईद भी हमारी, दिवाली भी हमारी हमें मंदिरों और मस्जिदों में बाटते हो क्यूँ – शाद उदयपुरी ‘शाद’ जी की नई रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें – राष्ट्रीय एकता पर कविता हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ
चमन में आग तुम लगाते हो क्यूँ
वतन का नाम तुम मिटाते हो क्यूँ
देश के चंद ग़द्दारों को
तुम यू बचाते हो क्यूँ
चंद पैसों के लिए तुम
ईमान को गिराते हो क्यूँ
झूठे झूठे ख़्वाब दिखाके
हँसा के फिर रुलाते हो क्यूँ
वतन पे मर मिटने वालों के
घर को भी खा जाते हो क्यूँ
लड़ा के हिंदू और मुस्लिम
ये गद्दी चाहते हो क्यूँ
हम एक थे और एक ही रहेंगे सदा
हमें तोड़ने की साज़िश रचाते हो क्यूँ
ईद भी हमारी, दिवाली भी हमारी
हमें मंदिरों और मस्जिदों में बाटते हो क्यूँ
– शाद उदयपुरी
‘शाद’ जी की नई रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें –
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2 replies to “लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ”
आजीज शेख
Nice
Kavya Jyoti
शुक्रिया जनाब