Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • बा अदब रखना इन्हें

    बा अदब रखना इन्हें, फूटे नहीं दिल के छाले हैं, कोई बूटे नहीं इश्क में ये हो गया हासिल हमें आखरी सांसों तलक टूटे नहीं लाख दो इल्ज़ाम, पर इतना सुनो और कुछ हों हम मगर, झूठे नहीं वक़्त से अपने नहीं मुझको गिला लोग रूठें, पर खुदा रूठे नहीं दर खुला है, रात भी [...] More
  • दर्द हद से सिवा बढ़ता रहा

    दर्द हद से सिवा बढ़ता रहा और बढ़ना दवा बनता रहा हाल पूछा सभी ने यूँ मे'रा ज़ख्म नासूर सा होता रहा क्यूँ जुदा बोलिये मुझसे हुये मैं अकेला वफ़ा करता रहा आज तनहाइयाँ तुमसे मिलीं सोचकर आह मैं भरता रहा ख़्वाब में जब मिरे आने लगे क़ाफ़िला प्यार का चलता रहा तुम जफ़ा पे [...] More
  • भगोरिया उत्सव पर कविता, रामनारायण सोनी

    भागोरिया एक समवेत स्वयंवर

    टेसू क्या दहका है, मन क्यूँ यह बहका है वसुधा का कण कण ऐसा क्यूँ दरका है। गौरी के गाँव मुआ महुआ भी महका है गंध फाग खेल रहे कनक जुही चम्पा है।। महुए की मण्डी से ताड़ी की हण्डी से पी पी जन डोल रहे हाट बाट मस्ती से। मचल उठी मस्त मगन छैल [...] More
  • उसकी इबादत से

    उसकी इबादत से भला क्यों रहता अनजान उससे अपना दिल मिला ओ ! भोले इन्सान कोयल बैठी डाल पर मीठे गीत सुनाय दो प्रेमी के बीच वो मीठी हूक जगाय सच का दामन थाम कर जो भी करता चाह ऊपर वाला खुद उसे दिखला देता राह ग़ज़लों में डूबा रहूँ ऐसा कर कुछ काम शेर [...] More
  • मीत सबको गले लगा

    मीत सबको गले लगा सबसे कर तू प्यार आज सभी तू तोड़ दे नफ़रत की दीवार घर बैठे ही जान ले मोबाइल से हाल भाई ! जाने का वहाँ काहे करे बवाल इक दोहा ऐसा कहो कुछ हटकर के यार बीच फंसी मझधार जो नाव लगा दे पार कयों करते हो मीत तुम ऐसों से [...] More
  • सपने पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    हमने वो सपना देखा

    हमने वो सपना देखा जिसमें घर अपना देखा देखा ना मेरा लिखना लोगों ने छपना देखा देखे ना उसके करतब रामनाम जपना देखा देखा है तुमने ज़ेवर हमने तो तपना देखा उल्टे मुंह आन पड़ा ना साये से नपना देखा - इक़बाल हुसैन "इक़बाल" इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की [...] More
  • मतलब पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    लोग गोटी जमा लेते हैं

    लोग गोटी जमा लेते हैं नाम, शोहरत कमा लेते हैं कर्म फिर भी झलक जाते हैं लाख धूनी रमा लेते हैं योजना हम सिर्फ सुनते हैं सब मजे रहनुमा लेते हैं हर्ज नहीं इसके लेने में लीजिये सब अमां लेते हैं हौसलावर भले दुर्बल हों मगर चोटी नमां लेते हैं लोग मतलब निकल जाने पर [...] More
  • सच पर दोहा, जगदीश तिवारी

    सम्बन्धों के द्वार पर

    सम्बन्धों के द्वार पर कभी जमे ना जंग अपनेपन और प्रीत का भर दे इनमें रंग हो जायेगा एक दिन इस दुनिया से गोल जब तक जीवित है सनम कर जा अच्छे रोल सच की चादर ओड़ कर घड़ा झूठ का फोड़ सच के बल पर ही सनम जीवन को दे मोड़ माँ की ममता [...] More
  • समय की चल पर दोहा, जगदीश तिवारी

    एक कहे शैतान है

    एक कहे शैतान है एक कहे इंसान उसके असली रूप की कैसे हो पहचान आज समय की चाल ने बदला अपना रंग सोच समझ कर पैर रख बजा संभलकर चंग मैंने जब तेरा किया सच्चे मन से ध्यान भाग गया जाने कहाँ अन्दर का शैतान अन्तर्मन को छू गए जब मेरे जज़्बात शब्द सभी करने [...] More
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