हमने वो सपना देखा जिसमें घर अपना देखा देखा ना मेरा लिखना लोगों ने छपना देखा देखे ना उसके करतब रामनाम जपना देखा देखा है तुमने ज़ेवर हमने तो तपना देखा उल्टे मुंह आन पड़ा ना साये से नपना देखा – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
हमने वो सपना देखा
हमने वो सपना देखा
जिसमें घर अपना देखा
देखा ना मेरा लिखना
लोगों ने छपना देखा
देखे ना उसके करतब
रामनाम जपना देखा
देखा है तुमने ज़ेवर
हमने तो तपना देखा
उल्टे मुंह आन पड़ा ना
साये से नपना देखा
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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