बा अदब रखना इन्हें, फूटे नहीं दिल के छाले हैं, कोई बूटे नहीं इश्क में ये हो गया हासिल हमें आखरी सांसों तलक टूटे नहीं लाख दो इल्ज़ाम, पर इतना सुनो और कुछ हों हम मगर, झूठे नहीं वक़्त से अपने नहीं मुझको गिला लोग रूठें, पर खुदा रूठे नहीं दर खुला है, रात भी खामोश है ये लुटेरा खूब है, लूटे नहीं साथ अपना निभ नहीं पाया तो क्या बाद मरने के भी तुम छूटे नहीं – इक़बाल हुसैन “इक़बाल” इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बा अदब रखना इन्हें
बा अदब रखना इन्हें, फूटे नहीं
दिल के छाले हैं, कोई बूटे नहीं
इश्क में ये हो गया हासिल हमें
आखरी सांसों तलक टूटे नहीं
लाख दो इल्ज़ाम, पर इतना सुनो
और कुछ हों हम मगर, झूठे नहीं
वक़्त से अपने नहीं मुझको गिला
लोग रूठें, पर खुदा रूठे नहीं
दर खुला है, रात भी खामोश है
ये लुटेरा खूब है, लूटे नहीं
साथ अपना निभ नहीं पाया तो क्या
बाद मरने के भी तुम छूटे नहीं
– इक़बाल हुसैन “इक़बाल”
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें