ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत होती ना ये दुनिया मीत झूठे रिश्ते झूठे लोग झूठी इनकी सारी प्रीत अब समझे हम जीवन को समय गया जब सारा बीत और डराएं उसको लोग जो जितना होता भयभीत दिन भी जलता जलती रात जलते बीते सावन शीत समय बड़ा विषदंती है तेरा है ना मेरा मीत भोले निकले [...]
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ग़ज़ल सुनाऊं गाऊं गीत
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कोई पराया भी अपना
कोई पराया भी अपना निकल जाये तो और अपना ही कोई बदल जाये तो ये ज़बा ही तो है गर फ़िसल जाये तो कोई लफ़्ज़े मुहब्बत निकल जाये तो इसको क़ाबू मे रखने की, की कोशिशे दिल ये बच्चा सा है फ़िर मचल जाये तो रात काली अमावस भरी है तो क्या चाँद ऐसे में [...] More -
देख तू किस तरफ़
देख तू किस तरफ़ बेखबर आ गया। चलते-चलते तेरा फ़िर से घर आ गया।। उसपे इल्ज़ाम कितने लगायेंगे लोग, भूले से कौन ये मोतबर आ गया। प्यार ममता की बातें चली जो कही, माँ का चेहरा मुझे फ़िर नज़र आ गया। ठोकरें जब लगी ज़िन्दगी में हमें , ज़िन्दगी जीने का तब हुनर आ गया। [...] More -
मोहताज़ दाने दाने को
मोहताज़ दाने दाने को होता रहा किसान। बंजर ज़मीं में ख्वाब को बोता रहा किसान।। सरकार हो किसी भी धोखा ही है मिला, लाचारियों को अपनी वो ढोता रहा किसान। सूखा पड़ा कभी तो, कभी बाढ़ आ गयी, बर्बाद इस तरह से भी होता रहा किसान। बेटी हुई जवान तो सर उसका झुक गया, बेबस [...] More -
हिम्मत की हौसले की
हिम्मत की हौसले की वो दीवार है औरत। जो मुश्किलों को काटे वो तलवार है औरत।। पैसों के बल से क्या इसे खरीद लोगे तुम, समझा है क्या तुमने कि बाज़ार है औरत। ताकत को इसकी तुमने अभी जाना है कहाँ, तूफ़ाने ज़िन्दगी की ये पतवार है औरत। मुँह तोड़ दुश्मनों का ये देती है [...] More -
जब से उनकी नज़र हो गई।
जब से उनकी नज़र हो गई। हर खुशी हमसफ़र हो गई।। राहे उल्फ़त में हर इक कदम, मैं तेरी रहगुज़र हो गई। उनको पा के भी पा न सके, हर दुआ बेअसर हो गई। आज की शब भी तन्हा कटी, वो न आये सहर हो गई। उनसे बिछड़े तो ऐसा लगा, ज़िंदगी मुख़्तसर हो गई। [...] More -
छोड़ चला जब डाली फूल
छोड़ चला जब डाली फूल भूल गया सब लाली फूल जब खुसबू काफूर हुई सिर्फ बचा है खली फूल अब गुलशन में कांटों की करते हैं रखवाली फूल चेहरों के गुलदस्तो में हमने देखे जाली फूल मंडी में बाजारों में करते है हम्माली फूल देरौहरम के झगड़ों पर रोऐ उपवन माली फूल - इक़बाल हुसैन [...] More -
सिफारिश से शोहरत नहीं चाहिए
सिफारिश से शोहरत नहीं चाहिए अब किसी की इनायत नहीं चाहिए बागबां से परिंदों ने कह ही दिया अब चमन में शरारत नहीं चाहिए दोस्ती से यकीं उठ गया इस कदर दोस्तों की हिफाज़त नहीं चाहिए जिसकी बुनियाद हो आदमी का लहू मुल्क को वो सियासत नहीं चाहिए जिस्म सजकर बज़ारों में बिकने लगे हद [...] More -
मगर तुम नहीं
उम्र ढलान पर है बेशुमार ख़्वाब आंखों में जगमगाते हैं उड़ाते हैं मज़ाक बेबसी का यही तमाशा है ज़िन्दगी का उम्र के इस पड़ाव पर जो छूट गया जो रूठ गया वो और उसकी खुशियां मुझसे थीं वो मजबूरियां वो दूरियां वो तड़पना वो लड़ना-झगड़ना वो मिलने का सुकून वो उम्र का जुनून वो दुनिया [...] More