देख तू किस तरफ़ बेखबर आ गया। चलते-चलते तेरा फ़िर से घर आ गया।। उसपे इल्ज़ाम कितने लगायेंगे लोग, भूले से कौन ये मोतबर आ गया। प्यार ममता की बातें चली जो कही, माँ का चेहरा मुझे फ़िर नज़र आ गया। ठोकरें जब लगी ज़िन्दगी में हमें , ज़िन्दगी जीने का तब हुनर आ गया। पैरहन उसका है ज़ाफ़रानी मगर , उसको जाना कहाँ था, किधर आ गया। नफ़रतों की थमे अब सुनामी लहर, बोलियों में कहाँ से ज़हर आ गया। जब ‘निशा’ ने सुनाई है अपनी गज़ल, देखो मेहफ़िल मे कैसा असर आ गया। – डॉ नसीमा निशा डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
देख तू किस तरफ़
देख तू किस तरफ़ बेखबर आ गया।
चलते-चलते तेरा फ़िर से घर आ गया।।
उसपे इल्ज़ाम कितने लगायेंगे लोग,
भूले से कौन ये मोतबर आ गया।
प्यार ममता की बातें चली जो कही,
माँ का चेहरा मुझे फ़िर नज़र आ गया।
ठोकरें जब लगी ज़िन्दगी में हमें ,
ज़िन्दगी जीने का तब हुनर आ गया।
पैरहन उसका है ज़ाफ़रानी मगर ,
उसको जाना कहाँ था, किधर आ गया।
नफ़रतों की थमे अब सुनामी लहर,
बोलियों में कहाँ से ज़हर आ गया।
जब ‘निशा’ ने सुनाई है अपनी गज़ल,
देखो मेहफ़िल मे कैसा असर आ गया।
– डॉ नसीमा निशा
डॉ. नसीमा निशा जी की ग़ज़ल
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