डॉ. नसीमा निशा

डॉ. नसीमा निशा

डॉ. नसीमा निशा जी विख्यात एवं विलक्षण कवयित्री हैं जिनकी रचनायें व ग़ज़लें बेहद भावपूर्ण होते हैं। वे अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर देती हैं। वे हिन्दुस्तान की ख्यातिप्राप्त कवयित्री व ग़ज़ल गायिका होने के साथ-साथ एक बेहद ही नेक और नम्र दिल शख्सियत हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी से नसीमा जी की रचनायें समय समय पर प्रसारित होती रहती हैं।

नाम: डॉ. नसीमा निशा

जन्म तिथि: 1 सितम्बर

जन्म स्थान: बिहार (कैमूर)

शिक्षा: पी.एच.डी (हिन्दी) महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)

सम्प्रति: शिक्षण कार्य एवं अभिकर्ता भारतीय जीवन बीमा निगम, पहिडया, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

वर्तमान निवास: B 9 /21 संजय अपार्टमेंट, चौकाघाट वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अनेक पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशन:

उदयपुर से प्रकाशित: कारवाँ, प्रत्यूष, प्रगति

वाराणसी से प्रकाशित: स्पंदन, सोच विचार, दिल इंडिया

कलकत्ता से प्रकाशित: अनेक पत्रिकाओं में

लखनऊ से प्रकाशित: सुपर आईडया

दिल्ली से: गज़ल दुश्यन्त के बाद (तीसरे भाग) में, सखी, मेरी सहेली, इत्यादि

दैनिक पत्रिका:

उदयपुर राजस्थान से राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर

वाराणसी से दैनिक जागरण और बहुतों में

सम्पादन: कारवाँ, प्रगति, समीक्षा इत्यादि

दूरदर्शन एंव आकाशवाणी से समय -समय पर प्रसारण

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरे में बराबर शिरकत

ईमेल: drnasimanisha@gmail.com

ब्लॉग: https://drnasimanisha.blogspot.com

डॉ. नसीमा निशा जी की रचनाओं को पढ़ने के लिए यहाँ फॉलो करें –

Nasir Banarasi
डॉ. नसीमा निशा जी को समर्पित नसीर बनारसी जी की कुछ पंक्तियाँ –

मन बहकता है तो बहकने दे
चिड़िया की तरह इसे चहकने दे
कहाँ कुछ भी आसमाँ में है ‘निशा’
बन के बादल इसे बरसने दे

नसीर बनारसी
अकबर खान 'शाद'
डॉ. नसीमा ‘निशा’ जी, एक बेहतरीन ग़ज़लकारा हैं। आपको सुनने वाले आपको कभी भूल नहीं पाते। पिछले दो दशकों से आप देश के अलग अलग प्रांतों में अपने ग़ज़लों की अमिट छाप छोड़े जा रहीं हैं। आप जिस मंच पर जातीं हैं वो मंच आपका ही हो जाता है।आपके ग़ज़लों में जादुई व चुम्बकीय आकर्षण है जो श्रोताओं को सम्मोहित कर देती है।
अकबर खान 'शाद'

काव्य मंचों पर प्रस्तुति देते हुए

एकता खान
डॉ. नसीमा जी बहुत ही उम्दा कवयित्री है जिनकी आवाज एक दर्द बयां करती है। उनकी ग़ज़लों की सभी पंक्तियों में गहरे भाव झलकते हैं और सुनने वालों के मन मस्तिष्क में स्थायी जगह बना लेते हैं।
एकता खान
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