Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है

    अग्रपूज्य देव श्रीगणेश को प्रणाम है। मातृशक्ति पार्वती महेश को प्रणाम है।। ज्ञान बुध्दि दायिनी सरस्वती प्रणाम है। मौन तीर्थधाम तापसी व्रती प्रणाम है।। पीठ के महानुभाव संत को प्रणाम है। शारदे विवेकशील कंत को प्रणाम है।। कालिदास कीर्तिमान लेखनी प्रणाम है। सिद्धपीठ न्याय दीप रोशनी प्रणाम है।। राष्ट्र के भविष्य और भूत को प्रणाम [...] More
  • वैभव पर मोहित कविता, गोविन्द व्यथित

    सौन्दर्य पर आकर्षित

    सौन्दर्य पर आकर्षित वैभव पर मोहित चुम्बन को बेताब उन लोगों के बढ़े हुए दोनों हाथ भ्रष्टाचार के उन्नत उरोजों की ओर ओर भी बढ़ते जा रहे हैं जर्जर व्यवस्था में सुख भोगकर उत्तेजना की पराकाष्ठा पर चढ़ते जा रहे हैं पाश्विक रूप में विलास सुन्दरी को बाहुपाश में जकड़ कर पंजों के नाखूनों में [...] More
  • मैं हूँ व्यथा का बोझ सखी

    मैं हूँ व्यथा का बोझ सखी तू फुलवारी कोमल उपवन की । मैं बोली चट्टानों जैसी तू भाषा गिरते सावन की ।। मैं लघु की हूँ जटिल बनावट तू वृहद का सीधापन है पोलापन हूँ मैं अम्बर का तू जगती का स्वर्णिम कण है ।। मैं दिग्भ्रान्त अनन्त प्रिये तू वसुधा है अमृत मंथन की [...] More
  • कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है

    कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है कुछ दूर तेरे साथ चलने की ख़्वाहिश है दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें मुमकिन नहीं फिर भी तेरे साथ क्यों जीने की ख़्वाहिश है ये जहां तेरे काम का ना मेरे काम का तेरे बिना तो लगता है सब बेनाम सा कुछ पल तेरी साँसों में [...] More
  • ख़ाक उड़ाते हुए ये म’अरका सर करना है

    ख़ाक उड़ाते हुए ये म'अरका सर करना है इक न इक दिन हमें इस दश्त को घर करना है ये जो दीवार अँधेरों ने उठा रक्खी है मेरा मक़्सद इसी दीवार में दर करना है इस लिए सींचता रहता हूँ मैं अश्कों से उसे ग़म के पौदे को किसी रोज़ शजर करना है तेरी यादों [...] More
  • मोह की जंजीर पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    वक्त के खूँटे से बाँधा

    वक्त के खूँटे से बाँधा मोह की जंजीर ने । मुग्ध होकर मैं बँधा ज्यों बाँध रक्खा हीर ने ।। ना मुझे शिकवा शिकायत ना ही मुझको चैन है । भेद मैं कैसे बताऊँ वार है या रैन है ।। खोलकर दिल रख दिया मैनें जो उनके सामने । भीम को धृतराष्ट्र बनकर वो लगे [...] More
  • प्यार मोहब्बत पर मुक्तक, नसीर बनारसी

    प्यार तीर सा चुभना

    प्यार तीर सा चुभना पर दिल का उनपर ही लुभना । मुहब्बत की पहचान है । चेहरे की बनावट की वजह है ये मुहब्बत । जो दिल में समा जाए वो दिलवर सा लगे है । चेहरा है हसीन सितमगर सा लगे है । वह चांद है लेकिन मुझे खंजर सा लगे है । - [...] More
  • निर्धन कुपोषित बच्चो पर कविता, नसीर बनारसी

    प्रश्न मन मे हैं

    प्रश्न मन मे हैं अनगिन सभी के मगर । लोग चिन्तित ह्दय हैं इन्हे सोचकर । निर्धनों के कुपोषित ये बच्चे कहें । क्या मिलेगी हमें रोटियां पेटभर । जन्म पाकर हिन्द में अपनी बनी तकदीर है । भाईचारे की यहां ऐसी जुड़ी जंजीर है । बोलियां भाषा अलग हैं फ़र्क लेकिन कुछ नहीं । [...] More
  • भारत की शान पर कविता, अवधेश कुमार ‘रजत’

    जब तक नभ में चाँद सितारे

    जब तक नभ में चाँद सितारे, तब तक उनका नाम रहेगा। भारत का हर बच्चा बच्चा, ज़िंदाबाद कलाम कहेगा।। शान देश की बढ़ा गए वो, है नाज़ हिन्द को उनपर, भारत माँ के बने दुलारे, राज करें वो हर दिल पर। ज्ञान गगन में कीर्ती फैली, युगों युगों तक काम रहेगा। भारत का हर बच्चा [...] More
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