कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है कुछ दूर तेरे साथ चलने की ख़्वाहिश है दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें मुमकिन नहीं फिर भी तेरे साथ क्यों जीने की ख़्वाहिश है ये जहां तेरे काम का ना मेरे काम का तेरे बिना तो लगता है सब बेनाम सा कुछ पल तेरी साँसों में बसने की ख़्वाहिश है कुछ पल तेरी बाहों में जीने की ख़्वाहिश है दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें मुमकिन नहीं फ़िर भी तेरे साथ क्यों जीने की ख़्वाहिश है – एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
कुछ पल तुझे अपना कहने की ख़्वाहिश है
कुछ पल तुझे अपना कहने
की ख़्वाहिश है
कुछ दूर तेरे साथ चलने
की ख़्वाहिश है
दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें
मुमकिन नहीं
फिर भी तेरे साथ क्यों जीने
की ख़्वाहिश है
ये जहां तेरे काम का
ना मेरे काम का
तेरे बिना तो लगता है सब
बेनाम सा
कुछ पल तेरी साँसों में बसने
की ख़्वाहिश है
कुछ पल तेरी बाहों में जीने
की ख़्वाहिश है
दिल जानता है कि ये ख़्वाहिशें
मुमकिन नहीं
फ़िर भी तेरे साथ क्यों जीने
की ख़्वाहिश है
– एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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