वो आँखों पे ज़ुल्फ़ों के पहरे बिठाये कभी ख़ुद हँसे अरु मुझे भी हँसाये मेरे गीत अपने लबों पर सजाये कभी दिन ढले भी मेरे घर में आये लगे जेठ सावन का जैसे महीना । थी क़ुर्बान मुझ पर भी ऐसी हसीना ।। कभी मुझको चूमे वो नज़दीक आकर कभी रूठ जाये ज़रा मुस्कुरा कर [...]
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वो आँखों पे ज़ुल्फ़ों के पहरे बिठाये
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बरस रहा है जड़-चेतन से, सुधियों का अनुराग
बरस रहा है जड़-चेतन से, सुधियों का अनुराग । मिलन-जोत भी लगा रही है, राजभवन में आग ।। पत्र एक न आया उसका, नहीं कोई संदेस चला गया वह मनभावन, क्या जाने किस परदेस डस जाये न साधक मन को, विरही क्षणों का नाग ।। बरस रहा है--------- आज जिधर भी जाता पड़ते, व्यंग्य गरल [...] More -
ख़बर हो तुझको मेरा बुत तराशने वाले
ख़बर हो तुझको मेरा बुत तराशने वाले खड़े हैं लोग मुझे फिर से मारने वाले मैं उस मुक़ाम पे सदियों खड़ा रहा कैसे जहाँ खड़े थे मेरा सर उतारने वाले इसे ख़ुलूस मैं समझूँ या कोई साज़िश है मुझी को पूजने आये हैं मारने वाले मैं अपने जिस्म को कुछ तो लिबास दे देता ज़रा [...] More -
हज़ारों तीर किसी की कमान से गुज़रे
हज़ारों तीर किसी की कमान से गुज़रे ये एक हम ही थे जो फिर भी शान से गुज़रे कभी ज़मीन कभी आसमान से गुज़रे जुनूने-इश्क में किस-किस जहान से गुज़रे किसी की याद ने बेचैन कर दिया दिल को परिंदे उड़ते हुए जब मकान से गुज़रे हमारे इश्क के आलम की है मिसाल कहीं रह-ए-वफ़ा [...] More -
धैर्य पर यहाँ स्वयम के तू अभी न वार कर
धैर्य पर यहाँ स्वयम के तू अभी न वार कर पुकारता है तू किसे ठहर जरा विचार कर । बदल सके तो ले बदल नयन के दृश्यमान को जो धूंध थी धुआँ धुआँ तलाशती है ज्ञान को तू बोझ ले के फिर रहा गली गली गुबार का कभी तो बोझ ओढ़ ले वसीयतों में प्यार [...] More -
जीवन की सरिता
जीवन की सरिता सरिता के तटबन्ध तटबन्धों पर सटे सुहाने घाट ये घाट साक्षी है - जीवन प्रवाह के साक्षी है धार के, गुजरते पानी के, चढ़ते उफान के, झरते प्रपात के, और जल की शीतलता के, निर्मलता के, सरलता के झरोखे इतिहास के *ठहरो* सोचो! क्या है यह सब तट हैं जन्म अौर मृत्यु [...] More -
कुछ तो ऐसा रच नया
कुछ तो ऐसा रच नया, छन्द हँसै हर द्वार कवियों के दरबार से, दूर भगे भंगार छन्दों के दरबार से, जमकर कर तू प्रीत भाई तू ही देखना, द्वार हँसेंगे गीत शब्द शब्द मिलकर करें, छन्दों का निर्माण गीतों के चलते तभी, दूर-दूर तक बाण जो करता है साधना, उसको मिलती जीत वो ही कवि [...] More -
उम्र का तकाजा भी न रहा
उम्र का तकाजा भी न रहा, अपने ओहदे का लिहाज न रहा। देखे पराई नार छुप-छुपकर वो, क्या तुझे खुदा का खौंफ भी न रहा। औरत कोई जिस्म का खिलौना नही, वासना व कामुकता का पिटारा नही। कमनीय नजर से तु दीदार न कर, तेरी दृष्टी मे वो लज्जो-हया नही। खुदा की रची सुन्दर तस्वीर [...] More -
प्यार की दास्तान पर कविता
उसकी हसरत में शामिल जर्रा भी आफ़ताब लगता है वो पत्थरो को भी सलीके से लगा दे तो ताज लगता है। आसमाँ, आसमाँ नही आज कल ज़मी लगता है इक चेहरा जब से चाँद से भी ज्यादा हसीं लगता है वक़्त औऱ दूरियां कुछ भी मायने नही रखते जो प्यार में अंधे हो वो घरो [...] More