ख़बर हो तुझको मेरा बुत तराशने वाले खड़े हैं लोग मुझे फिर से मारने वाले मैं उस मुक़ाम पे सदियों खड़ा रहा कैसे जहाँ खड़े थे मेरा सर उतारने वाले इसे ख़ुलूस मैं समझूँ या कोई साज़िश है मुझी को पूजने आये हैं मारने वाले मैं अपने जिस्म को कुछ तो लिबास दे देता ज़रा ठहर मेरा पैकर तराशने वाले मुझे चुका तू समझने की भूल मत करना हज़ारों हाथ हैं मुझको संवारने वाले हवायें और मुखालिफ़ कहीं न हो जायें डरे हुए हैं ये कश्ती संभालने वाले ये कैसा खेल है साग़र जो तूने खेला है बिसात फिर से बिछाते हैं हारने वाले – विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की साजिशें पर ग़ज़ल विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ख़बर हो तुझको मेरा बुत तराशने वाले
ख़बर हो तुझको मेरा बुत तराशने वाले
खड़े हैं लोग मुझे फिर से मारने वाले
मैं उस मुक़ाम पे सदियों खड़ा रहा कैसे
जहाँ खड़े थे मेरा सर उतारने वाले
इसे ख़ुलूस मैं समझूँ या कोई साज़िश है
मुझी को पूजने आये हैं मारने वाले
मैं अपने जिस्म को कुछ तो लिबास दे देता
ज़रा ठहर मेरा पैकर तराशने वाले
मुझे चुका तू समझने की भूल मत करना
हज़ारों हाथ हैं मुझको संवारने वाले
हवायें और मुखालिफ़ कहीं न हो जायें
डरे हुए हैं ये कश्ती संभालने वाले
ये कैसा खेल है साग़र जो तूने खेला है
बिसात फिर से बिछाते हैं हारने वाले
– विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की साजिशें पर ग़ज़ल
विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ
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