Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • नाराजगी पर कविता, डॉ. नसीमा निशा

    देखो तो दीवार कहाँ है

    देखो तो दीवार कहाँ है दो धारी तलवार कहाँ है तुम भी इंसा ,हम भी इंसा सोचो तो तक़रार कहाँ है गंगा- जल जो चाहे पी ले मज़हब पहरेदार कहाँ है साथ जियेन्गे, साथ मरेन्गे बोलो वो इक़रार कहाँ है एक फ़लक है एक ज़मी है हमको भी इंकार कहाँ है हाथ पकड गर साथ [...] More
  • गणपति कविता हिंदी में, अवधेश

    गणनायक गणपति गजे, गिरिजापुत्र गणेश

    गणनायक गणपति गजे, गिरिजापुत्र गणेश | सर्व सिद्ध स्वामी सुकवि, शंकर सुमन सुरेश | मंगलमूरत मान्यवर, मोहत मोदक मूस | अवध अराधे आपको, आओ आदि अशेष || - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
  • दर्द भरी कविता, एकता खान

    यूँ तो आप हमें

    यूँ तो आप हमें, अपना सा कहते हैं कहीं सिर्फ़ लफ़्ज़ों से ही तो हम अपने नहीं दिल जो आपका, अपना हमें समझने लगे कभी हक़ भी जता लेना, हम कोई ग़ैर नहीं - एकता एकता खान जी की दिल के दर्द पर कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More
  • यादों पर कविता, डॉ. नसीमा निशा

    पास आकर भी फ़ासला रखना

    पास आकर भी फ़ासला रखना, बे मज़ा है यूँ राब्ता रखना । तुम जुदाई का दर्द क्या जानो शर्त ऐसी न बाख़ुदा रखना । बाद जाने के तेरे छोड़ दिया सामने हमने आईना रखना । यूँ इबादत सी हो गई अपनी दिल में चेहरा ये आपका रखना । भीड़ में लोग खो गए 'निशा' कितने [...] More
  • निशा हिंदी मुक्तक

    निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था

    निशा ने प्रेम की थपकी मुझे देकर सुलाया था । सपन ने प्यार से मुझको मेरे प्रिय से मिलाया था । यकायक हो गया ऐसा उठी बारात तारों की - किरण ने गर्मजोशी से पुन: मुझको जगाया था ।। - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक अवधेश कुमार 'अवध' जी की मुक्तक [...] More
  • ढलती उम्र पर कविता, दीपा पंत ‘शीतल’

    एक उम्र तय करनी होगी

    एक उम्र तय करनी होगी मेरे जैसे हो जाने को... सुलगी सिसकी सांसों को घूंट घूंट पी जाने को। शीतल होना शीतल दिखना अलग अलग दो बातें हैं, ख़ुद को खोकर कहीं भूलकर फिर से ढो कर लाने को। एक उम्र तय करनी...... ये नाराज़ी, राजी होना छोड़ चुकी वो किस्से हैं, बंजर होके हरा [...] More
  • देश की प्रगति पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    बार-बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी।

    बार - बार जनता ये कहती, है विकास की गति धीमी। हर उपाय होता नाकाफी, नाकाफ़ी कोशिश नीमी। सत्तर सालों की आजादी, को हमने यूँ जिया है - एक तरफ बढ़ती आबादी, दूजे हम दीमक - क्रीमी ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार [...] More
  • गुबारे ग़म को दबाते रखिए

    गुबारे ग़म को दबाते रखिए

    गुबारे ग़म को दबाते रखिए, हंसी लबों पे सजाये रखिए। जो चाहो बज्मे सुखन हो रोशन, चरागे दिल को जलाए रखिए । अगर चेतन हक़ दबाना हो उनका, नींद गहरी में सुलाये रखिए । बलंदी चाहो गर सियासत में, रक़ीबो से भी बनाए रखिए । जिसने मजबूर किया है मधुकर, राज ये दिल में छुपाए [...] More
  • गुमशुदा शहर का वाशिंदा

    गुमशुदा शहर का वाशिंदा

    पिछली साल शहर की सड़को ने वादा किया मुझ से गाँव ले जाने का मगर सड़क खुद ब खुद ही कटकर वही खत्म हो गई शहर की युद्ध भूमि में मैं पड़ा रहा रक्त रंजित गाँव लेकर शहर की यादगार भूमि में गाँव का अकशुल यौद्धा बनकर शहर एक मतलबी टापू निकला जो बेमतलबी पानी... [...] More
Updating
  • No products in the cart.