• कर्बला की जंग, इरशाद अज़ीज़

    ज़ालिमों का रास्ता जुल्मों ज़फा का रास्ता

    ज़ालिमों का रास्ता जुल्मों ज़फा का रास्ता है हमारा रास्ता सब्रो - रिज़ा का रासता देखना इब्ने अली शेरे ख़ुद का रास्ता राहे हक़ में सरफ़रोशी उर वफ़ा का रास्ता कर के क़ुरबां जान अपनी अहले हक़ समझा गए सब से अच्छा है यहाँ रब की रज़ा का रास्ता हो गया है क्या से क्या [...] More
  • मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को

    मैं भी बुलाऊँ तुम भी बुलाना हुसैन को कि याद कर रहा है ज़माना हुसैन को समझा नहीं यजीद यक़ीनन ये फलसफा करबल से दूर दूर था जाना हुसैन को मसक़न तो उनका सिर्फ़ है ईराक में मगर हर दिल में मिल गया है ठिकाना हुसैन को सर पर खड़ी हैं ग़म की घटाएं तो [...] More
  • जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने

    जज़्बे जो मेरे दिल में जगाये हुसैन ने मेरे क़लम से वो ही लिखाये हुसैन ने ख़ुश्बू महक रही है फ़ज़ाओं में आज भी कुछ फूल इस तरह के खिलाये हुसैन ने सदियाँ गुज़र गईं हैं मगर आज देखिये उभरे हैं जो नुकूश बनाये हुसैन ने दुनिया को इक चराग़ दिखाने के वास्ते सब दीप [...] More
  • कुछ एहसास अजनबी से जागे तो हैं मगर

    कुछ एहसास अजनबी से जागे तो हैं मगर उन एहसासों को अल्फ़ाज़ो में ढाल ना सके आँखों से चाहत के मोती बिखरे तो हैं मगर उन बहते मोतियों को सहेज़ कर रख ना सके हर साँस उनसे मुहब्बत करती तो है मगर बातें ही कुछ ऐसी थी कि हम कह ना सके एक सफ़र साथ [...] More
  • देश के गद्दारो पर ग़ज़ल, मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी'

    कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं

    कुछ लोग आज वतन तोड़ रहे हैं अपने ही पैरों की ज़मीं छोड़ रहे हैं कुछ लोग चाहते हैं ऊँचा रहे मस्तक कुछ लोग देश का गाला मरोड़ रहे हैं कुछ लोग लहू बूँद -बूँद रहे जमा कुछ हैं जो लगातार ही निचोड़ रहे हैं कुछ लोग एकता की कोशिशों में लगे हैं कुछ हैं [...] More
  • हालात पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा निशा

    होने को मशहूर हुए हैं

    होने को मशहूर हुए हैं अपनो से ही दूर हुए हैं थी मजबूरी थाम सके न अच्छे दिन काफ़ूर हुए हैं घर की क़ीमत जाने वो ही घर से जो भी दूर हुए हैं दौलत शोहरत सर चढ़ बोले रिश्ते सब नासूर हुए हैं नशा उमर का उतरा जब है मन्ज़र सब बेनूर हुए हैं [...] More
  • इंसानियत पर ग़ज़ल, डॉ. नसीमा निशा

    सिस्कियां ले रहे आज रिश्ते सभी

    सिस्कियां ले रहे आज रिश्ते सभी झूठ लगने लगे लोग हंसते सभी हर तरफ़ साज़िशो की चली है हवा खौफ़ज़द हो रहे सब्ज़ पत्ते सभी भाव इंसानियत का उतरता गया आदमी हो गये आज सस्ते सभी हमसफ़र वो नहीं साथ फ़िर भी रहे एक हम ही नही लोग कहते सभी उठ रहा है धुआँ अब [...] More
  • बीती यादों पर ग़ज़ल, अवधेश कुमार 'रजत'

    कौन कहता कि रो रही आँखें

    कौन कहता कि रो रही आँखें। देख लो दाग धो रही आँखें।। ठेस दिल को लगा गया मेरे, बेवफा बोझ ढ़ो रही आँखें। जिस घड़ी छोड़ वो गया मुझको, एक पल भी न सो रही आँखें। लौट आना कभी बहाने से, फिर वही आस बो रही आँखें। याद उनकी सता रही हमको, हार बेजान हो [...] More
  • प्यार और नफरत, पी एल बामनिया

    कोई अपना मुझको सदाएं दे

    कोई अपना मुझको सदाएं दे। फिर वो जो चाहे हमे सजाए दे।। दिल प्रेम से इतना भरा रहे, हम अपने दुश्मन को दुआएं दे। इन नफरतो का इलाज कर सके, कुछ ऐसी बेशकीमती दवाएं दे। ये है इस बेवफा जमाने का उसूल, जिसे चाहे हम, वो हमे यातनाए दे। जिन पर हम थोड़ा इतरा सके, [...] More
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