विवाह शादी इश्तिहार हो गये है रिश्ते नाते सब व्यापार हो गये है। वृद्धाश्रम मे रहने की हमे दी सज़ा, हम बच्चो के ही गुनाहगार हो गए है। हर गुलशन में नफरत का माहौल है, सारे फूल अंदर से खार हो गए है। रिटायमेंट के बाद जिंदगी का आलम है, सप्ताह के सारे दिन इतवार [...]
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विवाह शादी इश्तिहार हो गये है
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चल साँझ हो गई है
चल साँझ हो गई है निकले गगन पे तारे मझधार में सफ़ीना माझी लगा किनारे इतने बड़े जहाँ में है कौन अब हमारा जो साथ में हमारे थोड़ा समय गुज़ारे ये ज़िन्दगी हमारी कैसे फिसल रही है धुंधली हुई नज़र है दीखें नहीं नज़ारे कब आयेगा बुलावा हमको बता दे तेरा दिखता नहीं कहीं तू [...] More -
हमने अर्पण किया
हमने अर्पण किया जान तन आप पर । आ गया है हमारा ये मन आप पर । इक झलक पर तुम्हारी हज़ारों मिटे, फूंक दें लोग सब जोड़ा धन आप पर । हैं दरस के दिवाने यहाँ से वहाँ, गर्व करता है सारा सदन आप पर । तुम ज़मीं की महक आसमाँ की चमक, और [...] More -
छोड़ो हमारा साथ
छोड़ो हमारा साथ जो तुमको बुरा लगे । वो साथ कैसा साथ जो मिलकर जुदा लगे । था मुद्दतों का साथ मगर वाह रे नसीब, निकले वही रक़ीब कि जो दिलरुबा लगे । खुलकर वह हमसे हाथ मिलाते नहीं हैं जब, तब उनकी आस्तीन में कुछ कुछ छुपा लगे । अब के बरस तो बरसे [...] More -
अजब मौजे तूफ़ान
अजब मौजे तूफ़ान के वलवले हैं । नदी की अगन से किनारे जले हैं । दहकते बदन से डरे कब पतंगे, पता था कि मिलकर जलेंगे जले हैं । बहकना मचलना महकना बिखरना, यही सिलसिले तो अज़ल से पले हैं । कमा कर रहे उम्र भर हाथ ख़ाली, वहीं हम खड़े हैं जहाँ से चले [...] More -
वो जफ़ा थी या वफ़ा
वो जफ़ा थी या वफ़ा भूल गए हैं अब तक । आप क्यूँ जाने उसे याद रखे हैं अब तक । ज़ख़्म जो तूने दिये देख हरे हैं अब तक, अश्क़ आँखों में दबे पाँव चले हैं अब तक । जो बसाए थे हसीं ख़्वाब कभी आँखों में, देख आँखों में वही ख़्वाब बसे हैं [...] More -
अब अंधेरा नहीं
अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए हम रहें प्यार से प्यार सब से करें दुश्मनी अब नहीं दोस्ती चाहिए बेरुख़ी बेरुख़ी बेरूख़ी छोड़ दो दिल लगाया तो फिर दिल्लगी चाहिए शेर कहकर ग़ज़ल आज पूरी करी हम हैं शायर हमें शाइरी चाहिए चाँद की चाँदनी सा दमकना हो गर मीत उसके लिए [...] More -
भूलकर हर अलम
भूलकर हर अलम अब ख़ुशी चाहिये बस ख़ुशी से भरी ज़िन्दगी चाहिये भूल बैठा हूँ आलम को तेरे लिए इस ख़ता की सज़ा अब नही चाहिये है अँधेरा ये माना तेरे चारसू तू जला ख़ुद को गर रौशनी चाहिये क्या मिलेगा हमें दुश्मनी से भला दुश्मनी भूल जा दोस्ती चाहिये चार पैरों पे यूँ ही [...] More -
लड़ ज़माने से
लड़ ज़माने से जिगर पैदा कर मेहनत करके हुनर पैदा कर मंज़िलें तुझको मिलेंगी आख़िर हिम्मतों से वो डगर पैदा कर दौड़ में तू ही यहाँ जीतेगा हौसलों में वो लहर पैदा कर सुर्खियों में तब रहेगा मुमकिन बेहतर कोई ख़बर पैदा कर बात तेरी तब सुनेगी दुनियाँ बात में अपनी असर पैदा कर इश्क़ [...] More