• एक फूल की खातिर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    सतरंगी धरती पर फैली

    सतरंगी धरती पर फैली कितनी राह अजानी, एक फूल के खातिर कितनी कितनी बनी कहानी || चित्र बनाती रही रात भर गन्ध पवन की लेकर, तेरी सुधियों की बरसाती ताल तलैया छूकर | पूरव की खिड़की से झाँके जब चाँदिनी सयानी, एक फूल की खातिर कितनी-कितनी बनी कहानी || मैंने तो तुमसे बस केवल एक [...] More
  • ज़िंदगी पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    मैं तुम्हारी जिन्दगी में

    मैं तुम्हारी जिन्दगी में गीत बनकर क्या करूँगा | साँझ की वरसात के रिमझिम स्वरों का यह तराना, नीड़ में दुबके खगों का प्रेम से कुछ गुनगुनाना | सुघर सावन में वरसते मेघ की चादर पसारे, स्नेह से भीगे नयन की कोर से विरहिन निहारे || मधुर बासन्ती छणों में गीत बनकर क्या करूँगा | [...] More
  • भगोरिया उत्सव पर कविता, रामनारायण सोनी

    भागोरिया एक समवेत स्वयंवर

    टेसू क्या दहका है, मन क्यूँ यह बहका है वसुधा का कण कण ऐसा क्यूँ दरका है। गौरी के गाँव मुआ महुआ भी महका है गंध फाग खेल रहे कनक जुही चम्पा है।। महुए की मण्डी से ताड़ी की हण्डी से पी पी जन डोल रहे हाट बाट मस्ती से। मचल उठी मस्त मगन छैल [...] More
  • होली पर गीत, नसीर बनारसी

    बुरा न मानो होली है

    बुरा न मानो होली है जोगीरा सरररररररर। जोगीरा सरररररररर बुरा न मानो होली है। बामनिया हंसने लगे सराफ ढोल बजाने लगे। मठपाल का देख मजीरा सागर लहराने लगे। प्रेम भंडारी गुप्तेश्वरजी रौशन करें जहान। बुरा न मानो मेरे विनय जी होली है विहान। मलती गुलाल हेमा शिल्पी के गाल पे। मधुजी रंग लगावें प्रीता जी [...] More
  • भाई जूते चल रहे

    भाई जूते चल रहे, आपस में ही यार। आपस में ही कर रहे, इक दूजे पर वार।। इक दूजे पर वार, यार योगी घबराया। इस नाटक को देख, विरोधी मुस्काया।। देख कहे 'जगदीश' करो न ऐसे लड़ाई। राहुल तो है आज,बहुत ही गदगद भाई। - जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की छन्द जगदीश तिवारी जी [...] More
  • पुलवामा क्रप्फ कैंप अटैक, जगदीश तिवारी

    मीत यूँ न ये समय बरबाद कर

    मीत यूँ न ये समय बरबाद कर आज फिर से देश की तू बात कर। देख आतंक हर तरफ मंडरा रहा आदमी इस देश का घबरा रहा सपन देखे जो भगत आजाद ने कौन उनपर आज कहर ढा रहा सो नहीं तू आज तहकीकात कर आज फिर से देश की तू बात कर। मीत क्या [...] More
  • वो एक कायर देश पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    वो एक कायर देश।

    कायर देश की कायरता देखो , छिपकर करता है वार देखो । सिंह के सामने डरकर भागता, सोते शेर पर करता वार देखो। लहू के उसके बसी गद्दारी है, रग-रग मे जिसके मक्कारी है। नापाक है वो देश इस जमीं पर, वो एक दरिंदा,और अत्याचारी है। उसकी माटी गुनाह उपजती , वीर नही सिर्फ शैतान [...] More
  • पुलवामा क्रप्फ हमले में शहीदों पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    पुलवामा हमले में शहीद जवानों की शहादत पर कविता

    नन्हे हाथो के खिलौने गए, जवाँ बहन का कँगन गया। सिंदूर मिट गया सुहागन का भाई का हम सहारा गया। बूढी आँखो की रोशनी गई , बिमार माँ की दवाईयाँ गई। बच्चो की अब तो पढाई गई घर की सारी खुशियाँ गई। एक चिराग के बुझने से अँधियारा सारा फैल गया। दु:ख ,दर्द की काली [...] More
  • पुलवामा आतंकी हमले पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    प्रेम बनाम नफरत

    प्रेम की धरती पर जब नफरतो की होली होती। देख लहू के रंग को जब भारत माँ रह रह रोती। शांति और प्रेम की धरती, नफरतो को कब तक सहेगी। आतंकवादी,हमलो से दहली कब तलब चुपी साधे रहेगी। वीरो व बलिदानो की धरती शहीदो का खुन बहा रही है। राजनीति की गंदी कुचालो से, जवानो [...] More
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