धकेला और छूटे हुवे को इस हवा ने बिखेरा और टूटे हुवे को इस हवा ने चुरा कर पेड़ पर जो रखा था वो ख़जाना लुटाया खूब लुटे हुवे को इस हवा ने बचा कर एक टूटा हुआ दर्पण रखा था किया है चूर फूटे हुवे को इस हवा ने लगी में और ज्यादा लगाए [...]
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धकेला और छूटे
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वो समझते हैं
वो समझते हैं अंजान हूं मैं सब समझता हूं इंसान हूं मैं कुछ रिवाजों का ख़ौफ़ है मुझको लोग ना समझे नादान हूं मैं परिचय मेरा अब आप रहने दो आज अपनी खुद पहचान हूं में उम्र भर जो ना निकल पाया एक ऐसा ही अरमान हूं मैं - इक़बाल हुसैन "इक़बाल" इक़बाल हुसैन “इक़बाल” [...] More -
बहुत हो चुकी
बहुत हो चुकी पहचान रहने दो कुछ बातों से अनजान रहने दो छेड़ो ना तुम जज़्बात को मेरे हुआ तो हुआ अपमान रहने दो बाहर निकलेंगे बिखर जायेंगे दिल में दिल के अरमान रहने दो उन पर करो महरबानियां अपनी हम पर तो अब अहसान रहने दो कोई बात नहीं छीन लो धरती सिर्फ सर [...] More -
शक्ल से ही बस कबाड़ी लगता है
शक्ल से ही बस कबाड़ी लगता है आदमी लेकिन जुगाड़ी लगता है जिस अदा से है हराया खुद को ही खेल का उससे, खिलाडी लगता है वो पता अपना अगरचे ना भी दे आदतन पूरा तिहाड़ी लगता है भेदिया जब भी चुराये मां का धन पेड़ पर चलती कुल्हाड़ी लगता है काम बाबूगिरी, रहे पर [...] More -
आज ये हादसा नहीं होता
आज ये हादसा नहीं होता हाथ जो आपका नहीं होता हाथ जो आपका नहीं होता मर्ज़ ये ला दवा नहीं होता आप चाहे जहां चले जाओ दर्द का दायरा नहीं होता वक़्त की है सभी मेहरबानी शख़्स कोई बुरा नहीं होता दूरियां दरमियां रखे रहना जब तलक फैसला नहीं होता फासले प्यार ही मिटाता है [...] More -
ना खिज़ा से डरो
ना खिज़ा से डरो, ना हवा से डरो तितलियों की मगर बददुआ से डरो रीत बदली सभी आज के दौर की आप करके वफ़ा बेवफा से डरो है गुनाह की सज़ा काटना लाजमी ग़र सज़ा से डरो, तो खता से डरो मश्वरा मान लो दानिशों ये मेरा हर मकामात पर बेहया से डरो आदमी आपको [...] More -
कथाकार बदल गये
कथाकार बदल गये अदाकार बदल गये रौनक बदल गयी सब सभागार बदल गये निज़ाम की तो हद है खतावार बदल गये बस एक ही रात में वफ़ादार बदल गये बुरे वक़्त में दोस्त लगातार बदल गये करके तौबा उसने कहा, यार बदल गये - इक़बाल हुसैन "इक़बाल" इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन [...] More -
बनकर के परछाई मेरी
बनकर के परछाई मेरी ना करना रुसवाई मेरी है अहसान बहुत आईने सूरत तो दिखलाई मेरी रखते-रखते ये सर ऊंचा गरदन भी दुख आई मेरी जैसे-जैसे दिन ढलता है बढ़ती है कठिनाई मेरी उपदेशों से तो बढ़कर ठोकर ही रंग लाई मेरी मुझसे मेले ले लो सारे लौटा दो तन्हाई मेरी बस उसके एक इशारे [...] More -
बा अदब रखना इन्हें
बा अदब रखना इन्हें, फूटे नहीं दिल के छाले हैं, कोई बूटे नहीं इश्क में ये हो गया हासिल हमें आखरी सांसों तलक टूटे नहीं लाख दो इल्ज़ाम, पर इतना सुनो और कुछ हों हम मगर, झूठे नहीं वक़्त से अपने नहीं मुझको गिला लोग रूठें, पर खुदा रूठे नहीं दर खुला है, रात भी [...] More