मातृभूमि वह तीर्थ जहाँ माता रहती है । अपना सब कुछ वार हमें पैदा करती है ।। तरुवर छायादार छत्र बन छाया करते । उमड़ घुमड़कर मेघ वारि बरसाया करते ।। प्रथम गिरा का ज्ञान यहीं से हम सब पाते । नव रस के सब भाव हृदय में यहीं समाते ।। कुछ भी हो कर्त्तव्य [...]
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अवधपति! आना होगा
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फ़िजाओं में कमी जब से हवाओं की लगी होने
फ़िजाओं में कमी जब से हवाओं की लगी होने शरम शालीनता संस्कृति मनुष्यों की लगी खोने । तभी से देश अपना विश्वगुरु से यूँ लगा गिरने घरों की आबरू जब से निकल बाहर लगी रोने ।। - अवधेश कुमार 'अवध' भारतीय संस्कृति पर बेहतरीन मुक्तक [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे [...] More -
दिल की धड़कन को उन्होंने सुना ही नही
दिल की धड़कन को उन्होंने सुना ही नही प्यार जो दिल में है उन्होंने देखा ही नही करें क्या शिकायत उनसे अब हाल-ए-दिल उन्होंने सुना ही नही हम तो उन्हें ख़ुदा समझ बैठे रहे इंसा से ज़्यादा उन्होंने समझा ही नही वो ख़ुश रहे सदा यही दुआ है मेरी मेरे जन्नत का रास्ता उन्होंने देखा [...] More -
दौर-ए-नवाज़िश
जब दौर-ए-नवाज़िश यूँ चलता रहा मेरे दिल में कुछ और मचलता रहा उसे भी लगी थी बहुत भूख पर निवाले वो अपने बदलता रहा उधर सरहदों पे वो गिरते रहे इधर ख़ूँ हमारा उबलता रहा बहुत ग़म ज़माने ने उसको दिये मेरे दर्द पर वो तड़पता रहा जब से मिले हो मेरे दोस्त तुम ख़ुद [...] More -
कोई बात नही हैं हुई
कोई बात नही हैं हुई अभी रात नही हैं हुई बोलो जाएँ तो जाएँ कहाँ मुलाक़ात नही हैं हुई रात सपने में देखा जिसे सौग़ात नही हैं हुई इश्के बाज़ार में जानेमन अभी मात नही हैं हुई तू मेरी ना हुई तो कभी कायनात नही है हुई दिल में बादल बहुत हैं उठे फिर भी [...] More -
देख के तेरा बचपन
देख के तेरा बचपन याद आता है कुछ अपना भी चिंता ना कल की ना किसी काम की चिड़िया उड़, गुड़िया की शादी खेला करते थे सब देख के तेरा बचपन याद आता है कुछ अपना भी मस्ती के पल गर्मी के वो दिन लूडो कैरम बिज़्नेस का खेल ना आएँगे अब वो दिन देख [...] More -
लड़ा के हिंदू और मुस्लिम ये गद्दी चाहते हो क्यूँ
चमन में आग तुम लगाते हो क्यूँ वतन का नाम तुम मिटाते हो क्यूँ देश के चंद ग़द्दारों को तुम यू बचाते हो क्यूँ चंद पैसों के लिए तुम ईमान को गिराते हो क्यूँ झूठे झूठे ख़्वाब दिखाके हँसा के फिर रुलाते हो क्यूँ वतन पे मर मिटने वालों के घर को भी खा जाते [...] More -
सुख जो परिवार में है, वो मिलेगा कहाँ
ना मंज़िल है कोई ना कोई कारवाँ बढ़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ कुछ पल बचा लो अपनो के लिए जो देखोगे पलट के, ये मिलेंगे कहाँ वक़्त का तक़ाज़ा कहता है यही जो बीत गये पल, फिर आएँगे कहाँ आओ इस पल को यादगार बना लें जो बातें होंगी अभी, फिर करेंगे कहाँ [...] More -
आज दिल में मिरे भरे हैं जो
आज दिल में मिरे भरे हैं जो लफ़्ज़ तेरे खरे खरे हैं जो देखकर यूँ मुझे परेशां तुम आम इंसा से हम परे हैं जो कस्मेवादे सभी तुम्हारे थे याद बनके धरे धरे हैं जो साथ मेरे यहाँ रहोगे तुम ये इरादे मरे मरे हैं जो सब बयाँ कर गये कहानी में अश्क़ आँखों में [...] More