फ़िजाओं में कमी जब से हवाओं की लगी होने शरम शालीनता संस्कृति मनुष्यों की लगी खोने । तभी से देश अपना विश्वगुरु से यूँ लगा गिरने घरों की आबरू जब से निकल बाहर लगी रोने ।। – अवधेश कुमार ‘अवध’ भारतीय संस्कृति पर बेहतरीन मुक्तक [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
फ़िजाओं में कमी जब से हवाओं की लगी होने
फ़िजाओं में कमी जब से हवाओं की लगी होने
शरम शालीनता संस्कृति मनुष्यों की लगी खोने ।
तभी से देश अपना विश्वगुरु से यूँ लगा गिरने
घरों की आबरू जब से निकल बाहर लगी रोने ।।
– अवधेश कुमार ‘अवध’
भारतीय संस्कृति पर बेहतरीन मुक्तक
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