Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • मर्यादा और लाज रखने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    घर की लाज

    घर की लाज दहलीज के भीतर, मर्यादा और लाज रखना इधर। इसको लांघ दु:ख पाया जानकी ने प्रिय-विछोह हो और जाए तो किधर। बाबुल की इज्जत है बेटी प्यारी, दहलीज मे ही है लाज हमारी। मर्यादा की यह लक्षमण रेखा है, इसका मान रखे सदैव सती नारी। सीता ने लक्षमण रेखा जब लांघी, आई उस [...] More
  • जला जलाकर हृदय वर्तिका

    जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । सज्जन हो जाना इस जग में साधारण सा काम नहीं जिसने यह व्रत अपनाया वह परहित ही जीता मरता ।। हर दिल की आवाज बनेगी | अवध लेखनी राज करेगी || - अवधेश कुमार 'अवध' [...] More
  • उम्मीद रखने पर कविता, एकता खान

    उनसे कुछ कहने की

    उनसे कुछ कहने की आरज़ू में बेज़ुबा अश्क़ यूँ ही निकल गए दिल की ख़ामोश गलियों में एहसासों के बादल यूँ ही बरस गए इन गलियों से कभी तो वो गुज़रेंगे ये उम्मीद किये सदियों गुज़र गए - एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना [...] More
  • हर घड़ी दवा

    हर घड़ी दवा जिन्हें समझते हैं हम ज़ख़्म रोज़ हमें वो देते हैं क्यूँ हर घड़ी याद जिन्हें करते हैं हम अपनी यादों से हमें वो मिटाते हैं क्यूँ हर घड़ी साथ जीने की ख़्वाहिश करते हैं हम दूर जाने की कोशिश वो करते हैं क्यूँ - एकता खान एकता खान जी की कविता एकता [...] More
  • सवालो के जवाब पाने पर कविता, एकता खान

    उम्मीदों के चिराग़ को

    उम्मीदों के चिराग़ को जलाएँ तो कैसे राहों के अंधकार को मिटाएँ तो कैसे डूबती कश्ती को किनारे लाएँ तो कैसे आँखों के समंदर को थामें तो कैसे तुम बिन सवालों के जवाब पाएँ तो कैसे - एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More
  • मोहब्बत और इश्क़ पर कविता, एकता खान

    एक वो हैं जो हर रोज़

    एक वो हैं जो हर रोज़ हज़ार बहाने ढूँढ लेते हैं हमसे दूर जाने के और एक हम हैं जो अपनी हर साँस उनके बहाने लेते हैं - एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
  • मौसम के बदलने पर ग़ज़ल, पी एल बामनिया

    अब ये मौसम कातिलाना

    अब ये मौसम कातिलाना हो चुका है दुश्मन का अब शहर आना हो चुका है। तुम खुद को अब मत ढूंढना इस शहर में तेरा इस दिल में ठिकाना हो चुका है। अंधेरों का राज होगा इस धरा पर तारों का तो झिलमिलाना हो चुका है। महफिल मे अब तुम गुनगुनाओ जरा सा इस गम [...] More
  • ग़ज़ल बन जाने पर कविता, विनय साग़र जायसवाल

    यह हवा और चला दो,

    यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये इस कदर प्यास सुलगती है लबों पर साग़र जाम होंटो के पिला दो, तो ग़ज़ल हो जाये - विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह [...] More
  • मतलब बदल रही दुनिया पर ग़ज़ल, विनय साग़र जायसवाल

    भर देंगे सब के दिल में,

    भर देंगे सब के दिल में, हम ताज़गी भी और रँग दी है ख़ुश्बुओं से, यह शायरी भी और उसका ही नाम अब तो, होंटो पे खेलता है जो भर गया जिगर में, ज़िन्दादिली भी और धीरे से महज़बी ने, घूँघट हटा दिया क्या इस दिल में भर गई है, कुछ रौशनी भी और मेरा [...] More
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