घर की लाज दहलीज के भीतर, मर्यादा और लाज रखना इधर। इसको लांघ दु:ख पाया जानकी ने प्रिय-विछोह हो और [...]
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घर की लाज
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जला जलाकर हृदय वर्तिका
जला जलाकर हृदय वर्तिका जग को आलोकित करता । मन में उपजे भाव लुटाकर जन जन की पीड़ा हरता । [...] More -
उनसे कुछ कहने की
उनसे कुछ कहने की आरज़ू में बेज़ुबा अश्क़ यूँ ही निकल गए दिल की ख़ामोश गलियों में एहसासों के बादल [...] More -
हर घड़ी दवा
हर घड़ी दवा जिन्हें समझते हैं हम ज़ख़्म रोज़ हमें वो देते हैं क्यूँ हर घड़ी याद जिन्हें करते हैं [...] More -
उम्मीदों के चिराग़ को
उम्मीदों के चिराग़ को जलाएँ तो कैसे राहों के अंधकार को मिटाएँ तो कैसे डूबती कश्ती को किनारे लाएँ तो [...] More -
एक वो हैं जो हर रोज़
एक वो हैं जो हर रोज़ हज़ार बहाने ढूँढ लेते हैं हमसे दूर जाने के और एक हम हैं जो [...] More -
अब ये मौसम कातिलाना
अब ये मौसम कातिलाना हो चुका है दुश्मन का अब शहर आना हो चुका है। तुम खुद को अब मत [...] More -
यह हवा और चला दो,
यह हवा और चला दो, तो ग़जल हो जाये इन चराग़ों को बुझा दो, तो ग़जल हो जाये इस कदर [...] More -
भर देंगे सब के दिल में,
भर देंगे सब के दिल में, हम ताज़गी भी और रँग दी है ख़ुश्बुओं से, यह शायरी भी और उसका [...] More