बाँधे गर तूने रखी सड़क नियम से डोर तेरे जीवन से कभी भागेगी न भोर नियम से गाड़ी चला, भाई! [...]
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बाँधे गर तूने रखी
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रगे खू में क्या
रगे खू में क्या घुला क्या कहें हम जबाँ रख के बेजुबाँ क्यूं रहें हम जबाँ पर ताले लगे है [...] More -
और हम क्या-क्या
और हम क्या-क्या करें मुस्कराने के लिये घर हमने जला दिया जगमगाने के लिये दोस्ती वादे वफा सब फरेबों के [...] More -
एक सपना बुना था उसने
एक सपना बुना था उसने मुझे बताये बिना मेरे होने में अपने होने का जबकि मैं अपने होने को तलाशता [...] More -
तन पर लपेटे
तन पर लपेटे फटे चिथडे़, नँगे-पैर वह चला जाता है। जाडे़ की बेदर्द हवाओ से वह, अपना बदन छिपाता जाता [...] More -
कभी घर से बाहर
कभी घर से बाहर निकलकर तो देखो ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो कहाँ जा रहे हो बचाकर ये दामन [...] More -
चिंता मे समय को
चिंता मे समय को न करो बर्बाद चिंतन मे करो, हो जाओगे आबाद एक माटी का दीया अँधेरे से लडे, [...] More -
अपने नरम हाथो से
अपने नरम हाथो से नरम-नरम रोटी सेंकती, एक -एक निवाला वो हमे खिलाकर फिर खाती, आज उस जननी का श्राद्ध [...] More -
जमीन पर गड़े
जमीन पर गड़े पत्थर ने अचानक दिया रोक पाँवों को एक करारी ठोकर लगी दर्द से कराह उठा तन्द्रा भागी, [...] More