Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • बाँधे गर तूने रखी

    बाँधे गर तूने रखी सड़क नियम से डोर तेरे जीवन से कभी भागेगी न भोर नियम से गाड़ी चला, भाई! [...] More
  • राजनीती चलने वालो पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    रगे खू में क्या

    रगे खू में क्या घुला क्या कहें हम जबाँ रख के बेजुबाँ क्यूं रहें हम जबाँ पर ताले लगे है [...] More
  • फरेबी और जूठी दुनिया पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    और हम क्या-क्या

    और हम क्या-क्या करें मुस्कराने के लिये घर हमने जला दिया जगमगाने के लिये दोस्ती वादे वफा सब फरेबों के [...] More
  • प्यार में सपना बनाने पर कविता, इरशाद अज़ीज़

    एक सपना बुना था उसने

    एक सपना बुना था उसने मुझे बताये बिना मेरे होने में अपने होने का जबकि मैं अपने होने को तलाशता [...] More
  • सर्दी के मर पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    तन पर लपेटे

    तन पर लपेटे फटे चिथडे़, नँगे-पैर वह चला जाता है। जाडे़ की बेदर्द हवाओ से वह, अपना बदन छिपाता जाता [...] More
  • सबको अपना समझने पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    कभी घर से बाहर

    कभी घर से बाहर निकलकर तो देखो ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो कहाँ जा रहे हो बचाकर ये दामन [...] More
  • संघर्ष करने पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    चिंता मे समय को

    चिंता मे समय को न करो बर्बाद चिंतन मे करो, हो जाओगे आबाद एक माटी का दीया अँधेरे से लडे, [...] More
  • माता के श्राद्ध पर कविता, हेमलता पालीवाल "हेमा"

    अपने नरम हाथो से

    अपने नरम हाथो से नरम-नरम रोटी सेंकती, एक -एक निवाला वो हमे खिलाकर फिर खाती, आज उस जननी का श्राद्ध [...] More
  • इंसानियत ख़तम होने पर कविता, गोविन्द व्यथित

    जमीन पर गड़े

    जमीन पर गड़े पत्थर ने अचानक दिया रोक पाँवों को एक करारी ठोकर लगी दर्द से कराह उठा तन्द्रा भागी, [...] More
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