बाँधे गर तूने रखी सड़क नियम से डोर तेरे जीवन से कभी भागेगी न भोर नियम से गाड़ी चला, भाई! नियम न तोड़ सड़क रक्षा अभियान से कुछ तो नाता जोड़ स्कूटर में बैठक र कहाँ जा रहा यार हेलमेट तो पहन ले, ओ! मेरे भरतार कार ज़रा धीरे चला, देख सामने देख घटना गर जो घट गयी कल न पायेगा देख छोटी-छोटी बात पर आपस में मतभेद यही बातें तो कर रही इस समाज में छेद सपनों के आकाश में कुछ तो छिड़को रंग फगुन नाचेगा तभी, तभी बजेगा चंग अन्तस के आँगन हँसे जब जब तेरी प्रीत ये मनवा तब तब रचे दोहे, मुक्तक, गीत – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी के दोहे जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बाँधे गर तूने रखी
बाँधे गर तूने रखी सड़क नियम से डोर
तेरे जीवन से कभी भागेगी न भोर
नियम से गाड़ी चला, भाई! नियम न तोड़
सड़क रक्षा अभियान से कुछ तो नाता जोड़
स्कूटर में बैठक र कहाँ जा रहा यार
हेलमेट तो पहन ले, ओ! मेरे भरतार
कार ज़रा धीरे चला, देख सामने देख
घटना गर जो घट गयी कल न पायेगा देख
छोटी-छोटी बात पर आपस में मतभेद
यही बातें तो कर रही इस समाज में छेद
सपनों के आकाश में कुछ तो छिड़को रंग
फगुन नाचेगा तभी, तभी बजेगा चंग
अन्तस के आँगन हँसे जब जब तेरी प्रीत
ये मनवा तब तब रचे दोहे, मुक्तक, गीत
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी के दोहे
जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ
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