Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • हमने अर्पण किया

    हमने अर्पण किया जान तन आप पर । आ गया है हमारा ये मन आप पर । इक झलक पर तुम्हारी हज़ारों मिटे, फूंक दें लोग सब जोड़ा धन आप पर । हैं दरस के दिवाने यहाँ से वहाँ, गर्व करता है सारा सदन आप पर । तुम ज़मीं की महक आसमाँ की चमक, और [...] More
  • हादसों पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    छोड़ो हमारा साथ

    छोड़ो हमारा साथ जो तुमको बुरा लगे । वो साथ कैसा साथ जो मिलकर जुदा लगे । था मुद्दतों का साथ मगर वाह रे नसीब, निकले वही रक़ीब कि जो दिलरुबा लगे । खुलकर वह हमसे हाथ मिलाते नहीं हैं जब, तब उनकी आस्तीन में कुछ कुछ छुपा लगे । अब के बरस तो बरसे [...] More
  • अजब मौजे तूफ़ान

    अजब मौजे तूफ़ान के वलवले हैं । नदी की अगन से किनारे जले हैं । दहकते बदन से डरे कब पतंगे, पता था कि मिलकर जलेंगे जले हैं । बहकना मचलना महकना बिखरना, यही सिलसिले तो अज़ल से पले हैं । कमा कर रहे उम्र भर हाथ ख़ाली, वहीं हम खड़े हैं जहाँ से चले [...] More
  • ख्वाब पर ग़ज़ल, इक़बाल हुसैन “इक़बाल”

    वो जफ़ा थी या वफ़ा

    वो जफ़ा थी या वफ़ा भूल गए हैं अब तक । आप क्यूँ जाने उसे याद रखे हैं अब तक । ज़ख़्म जो तूने दिये देख हरे हैं अब तक, अश्क़ आँखों में दबे पाँव चले हैं अब तक । जो बसाए थे हसीं ख़्वाब कभी आँखों में, देख आँखों में वही ख़्वाब बसे हैं [...] More
  • ज़िंदगी पर ग़ज़ल, जगदीश तिवारी

    अब अंधेरा नहीं

    अब अंधेरा नहीं रौशनी चाहिए खेलती कूदती ज़िन्दगी चाहिए हम रहें प्यार से प्यार सब से करें दुश्मनी अब नहीं दोस्ती चाहिए बेरुख़ी बेरुख़ी बेरूख़ी छोड़ दो दिल लगाया तो फिर दिल्लगी चाहिए शेर कहकर ग़ज़ल आज पूरी करी हम हैं शायर हमें शाइरी चाहिए चाँद की चाँदनी सा दमकना हो गर मीत उसके लिए [...] More
  • चित्तोर पर दोहा, जगदीश तिवारी

    मेवाड़ की गाथा पर

    वीर सदा पैदा हुए, जिस धरती पर मीत। भूल न उस चित्तौड़ को, उस पर लिख तू गीत।। लिख गाथा चित्तौड़ की, कर इसका गुणगान। इसके वीरों का करें, ह्रिदय से सम्मान।। पन्ना के उस त्याग का, कैसे करूँ बखान। शब्द नहीं हैं पास में, ओ ! मेरे भगवान।। जिसके वीरों ने सदा, दुश्मन दिए [...] More
  • इतिहास पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    कहने को तो सब अपने हैं

    कहने को तो सब अपने हैं अपनो जैसा प्यार मिला है | अपनेपन से भरा हुआ हो ऐसा नहीं विचार मिला है | जीवन की इस दोपहरी में घटा अमावस की छायी है | गलियारे में चाँद खड़ा है सहमी सहमी परछाई है | अंधेरे में कैद रोशनी आसू भरी कथा कहती है | एक [...] More
  • प्र्शन पर कविता, देवेन्द्र कुमार सिंह "दददा"

    जीवन के चौराहे पर

    जीवन के चौराहे पर, सब ओर देखिये प्रश्न मिलेगा शान्त सरोवर की छाती पर प्रश्न कमल बनकर निकलेगा एकाकी जीवन के पल में, प्रश्न सँवर कर ही आता है || सपनों का संसार अनूठा | लेकिन प्रश्न उभर आता है || नैनों में कुछ प्रश्न चिन्ह है, अधरों पर कुछ प्रश्न चिन्ह हैं | सागर [...] More
  • मुझे मेरे हिस्से का

    मुझे मेरे हिस्से का आकाश दे दो, अनछुयी सासों की वंजर धरती में, बो दूंगा एक टुकड़ा चांद | गल जायेगा आने वाली पीढ़ी का उन्माद आखों में खिलने वाले गंध हीन फूल साँसों की देहरी छूकर लौट आये | ना जाने कितने क्वारे गीत, बासन्ती स्वर में खो गये | अनदेखे मन के मीत, [...] More
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