Author Archives: Kavya Jyoti Team

  • नेताओ के बदलने पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    नेता कब क्या सोचते

    नेता कब क्या सोचते, करते क्या व्यवहार। मुश्किल इनको समझना,लीला अपरम्पार।। लीला अपरम्पार, एक थैली के चट्टे। लोकतन्त्र के दाँत सदा कर देते खट्टे।। अवध रचाकर स्वांग हमेशा रहते जेता। गिरगिट के भी बाप, हमारे देशी नेता।। - अवधेश कुमार 'अवध' अवधेश कुमार 'अवध' जी की कविता अवधेश कुमार 'अवध' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर [...] More
  • जानते हैं आप कि हम आपसे

    जानते हैं आप कि हम आपसे बेशुमार प्यार करते हैं सूरज भी आप हैं और चाँद भी नींद भी आप हैं और ख़्वाब भी रंग भी आप हैं और रौशनी भी सफ़र भी आप हैं और मंज़िल भी ख़ता हुई हमसे जो आपका दिल दुखाया बेवजह दिल टूटा हुआ है हमारा भी और बिखरे हुए [...] More
  • दिल में तेरे समा सकूँ

    दिल में तेरे समा सकूँ वो एहसास बनना चाहती हूँ होठों को तेरे सजा सकूँ वो मुस्कान बनना चाहती हूँ गीत जो तू गुनगुना सके वो ग़ज़ल बनना चाहती हूँ आँखें तेरी पढ़ सकूँ वो हमदर्द बनना चाहती हूँ ख़ुशियाँ तेरे आँगन बरसे ये दुआ ख़ुदा से चाहती हूँ - एकता खान एकता खान जी [...] More
  • रिश्ते बनाये रखो, अज़्म शाकरी

    जो बच गए हैं चराग़ उन को बचाए रक्खो

    जो बच गए हैं चराग़ उन को बचाए रक्खो मैं जानता हूँ हवा से रिश्ता बनाए रक्खो ज़रूर उतरेगा आसमाँ से कोई सितारा ज़मीन वालो ज़मीं पे पलकें बिछाए रक्खो अभी वहीं से किसी के ग़म की सदा उठेगी उसी दरीचे पे कान अपने लगाए रखो हमेशा ख़ुद से भी पुर-तकल्लुफ़ रहो तो अच्छा ख़ुद [...] More
  • ज़िन्दगी के पहलू पर ग़ज़ल, अज़्म शाकरी

    जितना तेरा हुक्म था उतनी सँवारी ज़िंदगी

    जितना तेरा हुक्म था उतनी सँवारी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से कहाँ हम ने गुज़ारी ज़िंदगी मेरे अंदर इक नया ग़म रोज़ रख जाता है कौन रफ़्ता रफ़्ता हो रही है और भारी ज़िंदगी रूह की तस्कीन के सारे दरीचे खुल गए दर्द के पहलू में जब आई हमारी ज़िंदगी सिर्फ़ थी ख़ाना-बदोशी या मोहब्बत का [...] More
  • देखता हूं वह कहां तक उडेगा

    देखता हूं वह कहां तक उडेगा । जहां तक उडेगा गगन मे रहेगा । भापेंगा जब कोई खतरा नसीर । जमीं पर उसको सुरक्षित रखेगा । - नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की मुक्तक मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
  • दिल बिछड़ने को नही है ।

    दिल बिछड़ने को नही है । साथ बस निभाने की है । दिल प्यार से लबालब नसीर । हो गया अस्तित्व घुलनशील है । - नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की मुक्तक मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें More
  • सुधार पर कविता, अवधेश कुमार ‘रजत’

    डूब वासना में सब भूल

    डूब वासना में सब भूल, जीवन में बो बैठे शूल। तन मन पर नारी के घाव, देख रहे सब ले कर चाव।। कौन हरेगा उसकी पीर, लिखी राख से क्यों तकदीर। लो कान्हा फिर तुम अवतार, करो पापियों का संहार।। मौन त्याग दो अब भगवान, दुष्टों का होता गुणगान। बदल रहा सबका व्यवहार, रजत नहीं [...] More
  • श्रम पर कविता, अवधेश कुमार 'अवध'

    बच्चों को भी भूख लगे

    बच्चों को भी भूख लगे तो हल्ला करते । पशु-पक्षी भी प्रात काल उठ श्रम पर मरते ।। जग के सारे सचर-अचर श्रम में हैं आतुर । चाहें हों अति मूढ़ या कि बढ़कर बहु चातुर ।। सबकी अपनी ताल, सभी के सुर हैं अपने । क्षमता के अनुसार, सभी के अपने सपने ।। श्रम [...] More
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