दोनो बँधे हैं दुनियाँ की रीत में मजबूरियाँ इधर भी हैं, कुछ उधर भी दिल की बातें हैं आज उन्हें बतानी मिलने की चाहत इधर भी है, कुछ उधर भी न जाने कितनी सांसें हैं और बाक़ी धड़कने गिनती की इधर भी है, कुछ उधर भी -एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान [...]
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दोनो बँधे हैं दुनियाँ की रीत में
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ख़्वाहिश फिर बचपन जीने की
ख़्वाहिश फिर बचपन जीने की खुले आसमा में उड़ने की ख़्वाहिश फिर चाँद तारों को छूने की सारी दुनिया को बदलने की चलो फिर होसलों को बुलंद करते हैं अधूरी चाहतों को पूरी करते हैं चलो फिर बचपन मिल के जीते हैं अधूरे सपनों को रंग भरते हैं साथ तुम्हारे अयान ज़िंदगी की नयी शुरुआत [...] More -
सौपे गये थे हमें जो दस्तावेज
सौपे गये थे हमें जो दस्तावेज हमने जिन्हें सँभाल कर रखने की कसम खायी थी जिन पर लिखा था हमारी संस्कृति और जीवन का दर्शन न हुआ पालन और तो और......... उन दस्तावेजों को हम न सके सँभाल वैसे अंगुलियों पर गिने जा सकते है बीते हुए साल क्योंकि ये...... ज्यादा पुराने भी तो न [...] More -
यह कैसी विडम्बना होगी कि
यह कैसी विडम्बना होगी कि अंधों की जमात में शामिल होने के लिए तुम्हें भी अपनी आँखों फोड़नी होंगी अपंगों के साथ चलने के लिए तुम्हें भी अपने कंधे बैसाखियों के सहारे टाँगने होंगे भले ही यह सब अभिनय मात्र के लिए करना पड़े लेकिन जो कुछ भी तुम्हारे पास है सब छोड़ना होगा सूखे [...] More -
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा
कैसे कहें किससे कहें नारी के जीवन की कथा । यह प्रश्न जब कोई उठाती लोग लेते अन्यथा । कोई भी तो नही है इसकी व्यथा सुनने वाला । यदि सुन भी ले तो कौन यहां गुनने वाला । वह कह रही है कब से अपने दिल का हाल । कोई भी तो होता हल [...] More -
हर व्यक्ति को समझाइये
हर व्यक्ति को समझाइये लहू का रंग एक है, मत भेदभाव बढ़ाईये लहू का रंग एक है इंसान को इंसान से जो बाँट रही है , दीवार वह गिराइये लहू का रंग एक है -नसीर बनारसी मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की कविता मोहम्मद नसरुल्लाह 'नसीर बनारसी' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना [...] More -
दर्दे दिल की किताब रहने दो
दर्दे दिल की किताब रहने दो ये मुसलसल अज़ाब रहने दो तुम से करती हूँ इल्तिजा इतनी मेरी आँखों में ख्वाब रहने दो हर खुशी आपको मुबारक हो मेरी आँखों में आब रहने दो इश्क में हमने तुमने क्या पाया फ़िर करेंगे हिसाब रहने दो आप से क्या वफ़ा की उम्मीदे खैर, छॊडॊ जनाब रहने [...] More -
जब से उनकी नज़र हो गयी
जब से उनकी नज़र हो गयी हर खुशी हमसफ़र हो गयी राहे उल्फ़त में हर इक क़दम मैं तेरी रहगुज़र हो गयी उनको पा के भी पा न सके हर दुआ बेअसर हो गयी आज की शब भी तन्हा कटी वो न आये सहर हो गयी उनसे बिछडे तो ऐसा लगा ज़िन्दगी मुख्तसिर हो गयी [...] More -
माथे बिंदी पाँव महावर
माथे बिंदी पाँव महावर लाज क घूँघट ओढ़ चलल, नाता रिश्ता नइहर वाला पल भर में ही गैर भयल। गुड्डा गुड़िया खेले वाली बेटी लोर बहावेले, सोन चिरइया छोड़ अँगनवा ससुरारी के ओर उड़ल। -अवधेश कुमार 'रजत' अवधेश कुमार 'रजत' जी की कविता अवधेश कुमार 'रजत' जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद [...] More